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India News (इंडिया न्यूज), Nithari Killings: बहुचर्चित निठारी हत्याकांड पर बड़ा अपडेट आया है।इलाहाबाद HC ने अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर की फांसी की सजा रद्द कर दी है।
अदालत ने बरी करते हुए कहा कि आरोप संदेह से परे साबित न किया जा सका है। जिस कारण उन्हें निर्दोष करार दिया जाता है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ कर रही थी। अदालत ने लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिस पर आज यानि सोमवार को फैसला सुनाया गया।
साल 2005 से 2006 में हुए इस निठारी केस में सीबीआई ने सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत मिटाने के केस में आरोपी बनाकर पेश किया था। वही मनिंदर सिंह पंधेर के ऊपर मानव तस्करी का आरोप था। इन्हें फांसी की सजा सुनावई गई थी। इस आदेश के खिलाफ दोनों आरोपियों ने हाई कोर्ट का रुख किया।
7 मई 2006 की बात है जब निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी के बहाने से बुलाया था। फिर क्या था वो लड़की वापस घऱ नहीं लौटी। यहीं से शुरु होती है खौफनाक कहानी। बेटी के घर नहीं लौटने पर युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में गुमशुदगी का मामंला दर्ज करवाया था। पुलिस ने जांच शुरु की तब 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। इस मामले में पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया। फिर बाद में यह केस सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया।
बता दें कि सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा के एक गांव का निवासी है। साल 2000 में वह दिल्ली आया था। यहां यह एक ब्रिगेडियर के घर पर कूक का काम करता था। साल 2003 की बात है जब पंढेर से सुरेंद्र कोली मिला। उसके कहने पर ही वह नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा था। पंढेर का परिवार साल 2004 में पंजाब चला गया। फिर वह और कोली साथ में कोठी में रहने लगा। बता दें कि वह उस कोठी में अक्सर कॉलगर्ल को बुलाता था।
आरोप था कि वह कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म को अंजाम देता था। फिर मौत के घाट उतार देता था। वहीं निठारी गांव के लोगों का मानना है कि पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता था। वह बच्चों को मारकर उनके अंग निकाल लेता था। जिसे विदेशों में बेचता था।
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