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India News (इंडिया न्यूज़), Jammu & Kashmir News: जम्मू कश्मीर ग्रह मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सुरक्षा और नियामक उपायों को बढ़ाने के उद्देश्य से, एक उच्च स्तरीय समिति की स्थापना कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह समिति यहाँ अवैध रूप से रहने वाले विदेशियों की पहचान करने का काम करेगी। समिति को 1 जनवरी, 2011 से जम्मू कश्मीर में अवैद्य रूप से आये और यहां रह रहे विदेशी नागरिकों पहचानेगी।
इस नई पहल के तहत, समिति को हर महीने एक रिपोर्ट तैयार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसमें जम्मू-कश्मीर के भीतर रह रहे लापता विदेशियों की स्थिति का विवरण होगा। ये रिपोर्ट हर महीने की सात तारीख तक केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएंगी।दरअसल जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों के सामने ऐसे कई मामले आये हैं। जिसमे यहां रह रहे कई गैर भारतीय कुछ गैरकानूनी गतिविधिओं में शामिल पाए गए थे।
शायद इसी बजह से सुरक्ष बलों ने ऐसे लोगों जिनका वीजा ख़तम हो चूका है, और वो NGO या कश्मीर के किसी स्पोर्ट्स के नाम पर रह रहे हैं। शायद यही वजह है कि जिसके चलते प्रशासन ने इन लोगों को ढूंढ निकालने के लिए यह कमिटी बनाई है।
इस घटनाक्रम का असर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान की 350 से अधिक महिलाओं और जम्मू कश्मीर में अलग अलग जगह इलाको में गैरकानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या पर पड़ सकता है। खास तौर पर POK से आयी महिलाओं ने 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में पड़ोसी देश में हथियार प्रशिक्षण के लिए सीमा पार करने पर कश्मीरी आतंकवादियों से शादी की।
2010 के बाद, ये लोग, अपने कश्मीरी/आतंकी पतियों और बच्चों के साथ, उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार द्वारा शुरू किए गए एक विशेष रिहैबिलिटेशन पैकेज के तहत घाटी में पहुंचे। यह पैकेज उन लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया था जिन्होंने आतंकी गतिविधियों को छोड़ कर सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया था, और जम्मू कश्मीर में लौटने की इच्छा व्यक्त कर रहे थे।
जम्मू-कश्मीर गृह विभाग और सरकार की यह पहल इस बार सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि केंद्र शासित प्रदेश में शांत और सुरक्षित वातावरण बना रहे, साथ ही क्षेत्र में अवैध रूप से रहने वाले विदेशियों के संबोधित पुख्ता जानकारी मिल सके।
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