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India News (इंडिया न्यूज), Worldwide Student Fraud: पूरी दुनियाभर से छात्र कनाडा पढ़ने के लिए जाते हैं ऐसे में अक्सर ऐसा देखने को मिसता है कि कई लोगों के साथ धोखाधड़ी जैसी मामले होती है। इसी को देखते हुए कनाडा ने धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई उपायों का ऐलान किया है। इसके कई प्रमुख बदलाव किए गए हैं। अब पोस्ट-सेकेंडरी डिजेगनेटेड लर्निंग इंस्टीट्यूशनों (DLI) को एक दिसंबर से शुरू होने वाले स्टडी परमिट जारी करने से पहले ही एक नई वेरिफिकेशन प्रोसेस के जरिए प्रत्येक आवेदकों के स्वीकृति पत्र की पुष्टि करने की जरूरत होगी।
कनाडा सरकार अपने एक बयान में कहा है कि, “देश अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक टॉप डेस्टिनेशन च्वाइस है, लेकिन उन्हें कनाडा के इंटरनेशनल स्टूडेंट प्रोग्राम में कइ गंभीर चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। कनाडा की तरफ से यह घोषणा भारत द्वारा यात्रा दस्तावेज की चार श्रेणियों में छात्रों के लिए वीज़ा फिर से खोलने के कुछ ही दिनों बाद की गई है। खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कनाडा की कई कथित निष्क्रियता की वजह से संबंधों में खटास आने के बाद भारत ने कनाडा से वीजा सेवाएं बंद कर दी थीं।
बता दें कि, कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने अपने एक बयान में कहा कि, नई प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय छात्रों को उन समस्याओं से बचने में मदद करेगी, जिनका सामना कुछ लोगों ने इसी साल की शुरुआत में धोखाधड़ी की जांच करने के लिए किया गया था। इसके जरिए अब यह भी सुनिश्चित हो पाएगा कि, स्टडी परमिट केवल वास्तविक स्वीकृति पत्रों के आधार पर जारी किया जाएं।
वहीं साल 2024 में समाप्त होने वाले सेमेस्टर के समय पर आईआरसीसी पोस्ट-सेकेंडरी डीएलआई को लाभ पहुंचाने के लिए एक “मान्यता प्राप्त संस्थान” फ्रेमवर्क को अपनाया जाएगा। जिससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सेवाओं, समर्थन और नतीजों के लिए उच्च मानक को निर्धारित किए जाते हैं। कनाडाई सरकार ने कहा कि, इन डीएलआई को जोड़ने से लाभ होगा।
बता दें कि, कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी ने इस साल की शुरुआत में ही लगभग 700 भारतीय छात्रों को निर्वासन पत्र जारी किया था। जिनमें से ज्यादातर छात्र पंजाब के थे। उनके कनाडाई विश्वविद्यालयों में एडमीशन के लिए प्रवेश पत्र फर्जी साबित हुए थे। वहीं अधिकांश छात्र 2018 में ही कनाडा पहुंचे थे। हालांकि दावा किया गया कि फर्जी पत्रों का मुद्दा पांच साल बाद ही सामने आया है, जब उन्होंने स्थायी निवास के लिए आवेदन किया।
यह मुद्दा सिर्फ यहीं तक सीमित न रहा बल्कि यह कनाडाई संसद में भी गूंजा था। वहीं प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि, उनका ध्यान “दोषियों की पहचान करने पर है न कि पीड़ितों को दंडित करने पर।”
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