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Chhath Puja 2023: छठ पूजा में व्रती महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लगाती हैं सिंदूर, जानें क्या है इसका महत्व

Shanu kumari • LAST UPDATED : November 14, 2023, 3:46 pm IST
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Chhath Puja 2023: छठ पूजा में व्रती महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लगाती हैं सिंदूर, जानें क्या है इसका महत्व

Chhath Puja 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Chhath Puja 2023: फेस्टीवल सीजन की शुरुआत हो चुकी है। दिवाली के बाद अब पूरे उत्तर भारत में छठ पूजा की तैयारी शुरु हो चुकी है। छठ बिहार-यूपी के मुख्य त्योहार माना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और षष्ठी माता की पूजा की जाती है। हर साल यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है।

इस बार छठ महापर्व का आगाज 17 नवंबर से हो रहा है। वहीं इसका समापन 20 नवंबर को होगा। इस पूजा के करने के कुछ खास और कठिन नियम होते हैं। जिसकी वजह से इसे महापर्व कहा जाता है। वहीं इस पर्व में एक अनोखा नियम है। वो ये है कि पूजा के दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती हैं। इस नियम के पीछे कुछ खास मान्यताएं हैं। जिसके बारे में हमें जानना बेहद जरुरी होता है।

नाक पर से सिंदुर लगाने के पीछे की मान्यता

सबसे पहली बात बता दें कि ये पूजा केवल विवाहित महिलाएं हीं करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाक पर से सिंदुर लगाने के पीछे की वजह पति की लंबी उम्र कहा जाता है। मान्यता है कि जो भी महिलाएं ऐसा करती हैं उनके पति की आयु और भी ज्यादा बढ़ जाती है। साथ ही उनके पति अकाल मृत्यु के शिकार नहीं होते हैं।

इसके अलावा मान्यता यह भी है कि सिंदुर लगाने से पति की लंबी आयु के साथ समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। साथ हीं यह भी कहा जाता है कि जो महिलाएं सिंदुर छिपा कर लगाती हैं उनके पति समाज में कहीं छिप कर रह जाते हैं। इसकी साथ उनकी तरक्की भी रुक जाती है और आयु भी कम हो जाती है। साथ ही नाक से सिंदुर कर महिलाएं समाज को यह भी बताती हैं कि वो शादी-शुदा हैं और अपने पति से बेहद प्रेम करती हैं।

दुशासन और द्रौपदी से जुड़ा किस्सा

इसके पीछे एक कहानी यह भी कहा जाता है कि एक बार दुशासन गरजते हुए द्रौपदी के कक्ष में पहुंचा। उस समय द्रौपदी ने सिंदुर नहीं लगाया था। जिसपर दुशासन ने तंज कसते हुए कहा कि तूने अभी तक यह भी तय नहीं किया कि किसके नाम का सिंदूर लगाना है। इसके बाद दुशासन द्रौपदी के बाल को पकड़ कर खींचने लगा। तभी द्रोपदी ने जल्दी से सिंदूरदानी को ही अपने सिर पर पलट लिया। बता दें कि सिंदुर भी कई तरह के होते हैं। पहला सुर्ख लाल, दूसरा सिंदूर पीला या नारंगी, तीसरा सिंदूर मटिया सिंदूर होता है। छठ पूजा के दौरान ये तीनों तरह के सिंदुर को इस्तेमाल किया जाता है। बिहार में मिटिया सिंदूर का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस सिंदुर को सबसे शुद्द माना जाता है।

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