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India News(इंडिया न्यूज), Chandrayaan-4: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेंनाजेशन (isro) चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब चंद्रयान-4 मिशन के लिए भी आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही इसरो का गगन यान मिशन भी अपने पड़ाव पर है। गगन यान मिशन तहत इसरो एक बार अपना सफल परिक्षण कर चुका है। वहीं अब मिशन की सफलता के लिए पूरी तरह फोकस है। इसके अलावा इसरो का एक और खास प्लान है। जिसका मकसद है कि भारत का गौरवपूर्ण मिशन चंद्रयान-3 सफलता पूर्व पृथ्वी में वापिस लौट आए।
बता दें कि इसरो की निगाहें अगले अभियान चंद्रयान-4 पर हैं। इस मिशन में इसरो कई कदम आगे बढ़ता हुआ चंद्रमा से मिट्टी के नमूने हासिल कर उन्हें पृथ्वी पर लाएगा। मालूम हो कि ये मिशन किसी भी तरह से आसान नहीं है।
चंद्रयान-4 अभियान का इशारा इसरो के स्पेस एप्लिकेशन्स सेंटर के निदेशक नीलेश देसाई ने दिया है। वहीं अगर इस मिशन की बात करें तो चंद्रयान-4 में दो प्रक्षेपणों के जरिए कुल 4 मॉड्यूलों को चंद्रमा पर भेजा जाएगा। इसमें पहले एक यान चंद्रमा पर जाएगा जिसमें लैंडर और एसेंडर होंगे। यहीं जाकर चंद्रयान-3 की साइट पर उतर कर नमूने जमा करने का काम करेंगे। आपको बता दें कि ये वहीं जगह है जहां पर दुनिया के वैज्ञानिकों की पानी के होने का अनुमान लगाया हैं।
अगर अगर लैंडर के दोवारा वापिस लाने की बात करें तो, दूसरे प्रक्षेपण के जरिए ट्रांसफर मॉड्यूल और रीएंट्री मॉड्यूल चंद्रमा के पास भेजे जाएंगे। इसमें जमा नमूनों एसेंडर के जरिए अंतरिक्ष में एक ट्रांसफर मॉड्यूल से जुड़ेंगे। वहीं, जब दोनों मॉड्यूल पृथ्वी के पास पहुंच जाएंगे तब रीएंट्री मॉड्यूल अलग होकर पृथ्वी पर लौटेगा और ट्रांसफर मॉड्यूल पृथ्वी का चक्कर लगाता रहेगा।
दरअसल चंद्रयान-3 के स्लीप मोड में जाने से पहले ही इसरो ने इस मिशन को लेकर टेस्टिंग कर दी थी। स्लीप मोड से एक दिन पहले इसरो ने विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह से उपर उठाकर उसके कुछ मीटर अलग दोवारा सफलता के साथ लैंड किया था।
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