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Cash Became First Choice Instead Of Digital
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश में भले ही आज डिजिटल पेमेंट करने के कई साधन उपलब्ध हैं, बावजूद इसके आज भी भारत में कैश पेमेंट का इस्तेमाल सबसे अधिक होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 5 साल पहले 8 नवम्बर को देश में जब नोटबंदी की गई थी तो उस समय लोगों के पास कैश लगभग 18 लाख करोड़ रुपए था।
वहीं गत महीने अक्टूबर में खत्म पखवाड़े तक लोगों के पास ये कैश 57 प्रतिशत बढ़कर लगभग 28.30 लाख करोड़ रुपए हो गया। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत में लोग अभी भी कैश पेमेंट को ही ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।
भारत में भले ही डिटिलट पेमेंट को लेकर आज कई तरह के एप्स हैं, वहीं भारत सरकार भी डिजिटली पेमेंट को ज्यादा प्रमोट करने में लगी है। इसके बावजूद उक्त आंकड़ों के मुÞताबिक भारत में लोग कैश पेमेंट को ज्यादा महत्व क्यों दे रहे हैं? इसका सबसे बड़ा कारण त्योहारी सीजन में कैश की डिमांड ज्यादा होना है।
भारत में बहुत सारों त्योहारों पर लोगों को कैश ही चाहिए होता है। इसलिए लोग कैश पर निर्भर करते हैं। वहीं दूसरा कारण लोगों के पास बैंक अकाउंट का न होना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आज भी भारत में 15 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिनके पास बैंक खाते नहीं है।
पिछले साल 2020 में कोरोना वायरस के कारण भारत में लाकडाउन लगा था। लाखों लोगों ने पहली बार अपने जीवन में लाकडाउन देखा था। ऐसे में लोगों ने अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए नकदी जोड़ने पर ज्यादा जोर डाला। इसी कारण कैश का फ्लो बढ़ता चला गया।
बता दें कि 5 साल पहले 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था। इसका कारण काले धन पर स्ट्राइक और नकली नोटों पर नकेल कसना बताया गया था। इसके बाद 500 और 2000 रुपए के नए नोट जारी किए गए थे।
वहीं लोगों को डिजिटल पेमेंट को लेकर भी जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया था। यूपीआई जैसे कई पेमेंट साधनों को बढ़ाया गया है। फिर भी आज देश में कैश का इस्तेमाल ही ज्यादा होता दिख रहा है।
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