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India News (इंडिया न्यूज), Asaduddin Owaisi: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। इसी बीच एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “सीएए संविधान विरोधी है। यह एक कानून है जो धर्म के आधार पर बनाया गया है। सीएए को एनपीआर-एनआरसी के साथ पढ़ा और समझा जाना चाहिए जो इस देश में आपकी नागरिकता साबित करने के लिए शर्तें तय करेगा। अगर ऐसा होता है तो यह होगा।” यह घोर अन्याय होगा, खासकर मुसलमानों, दलितों और भारत के गरीबों के साथ, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों।
सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने दावा किया कि केंद्र लोकसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि “अब यह स्पष्ट है। इतने वर्षों तक इन नियमों (सीएए) को अधिसूचित नहीं किया गया था। यह बात साफ है कि वे चुनाव से ठीक पहले इन नियमों को अधिसूचित करना चाहते हैं ताकि इसे धार के माध्यम से चुनाव में लाभ पाने के लिए एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। यह कुछ चुनावी लाभ के लिए नियमों और घोषणाओं को एक उपकरण के रूप में उपयोग करना है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीएए नियमों को इस साल के अंत में होने वाले लोकसभा चुनावों की घोषणा से काफी पहले अधिसूचित किया जाएगा। यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुसलमानों – हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों – के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करना आसान बनाता है। उन्होंने कहा कि “हम जल्द ही सीएए के लिए नियम जारी करने जा रहे हैं। एक बार नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।”
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