संबंधित खबरें
सर्दियों में गले और छाती में जम गया है बलगम, तुरंत पिघला देगें ये 5 देसी उपाय, सारी गंदगी मिनटों में होगी बाहर
यूरिक एसिड के क्रिस्टल ने जोड़ों का कर दिया है बूरा हाल, उठना बैठना हुआ मुश्किल, तो इस हरे पत्ते का शुरू कर दें सेवन, खुरच कर करेगा बाहर!
फैटी लिवर ने कर दिया है परेशान, और दुगनी बढ़ गई है समस्या तो आज ही खाने-पीने की इन चीजों से कर दें अलविदा!
किडनी फेल होने से पहले शरीर पे दीखते हैं ये 6 लक्षण, बात हाथ से निकलने से पहले कर लें ये काम!
Skin Care Tips: इन 3 तरीकों से रोक सकते हैं बढ़ती उम्र, चेहरे से गायब हो जाएंगी झुर्रियां
पुरुषों के स्पर्म काउंट से लेकर फर्टिलिटी तक, सभी परेशानी होंगी दूर, बस करना होगा इस हरे रंग की चीज का सेवन
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Side Effects Of Air Pollution : सावधान! जी हां ये समय हम सबके सावधान होने का है। यदि सावधान ही हुए तो जान से हाथ गवां बैठेंगे। ये चेतावनी सुनने में बहुत खराब लग रही है, लेकिन ऐसी ही चेतावनी हमारे देश में प्रदूषण को देखते हुए डब्ल्यूएचओ भी दे रहा है।
दिवाली के बाद से दिल्ली एक बार फिर गैस चैंबर बन गया है। वायु प्रदूषण सामान्य रूप से स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है लेकिन बच्चों के लिए यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने भारत में इसके लिए चेताया भी है।
दोनों ही विश्व संगठनों के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण का स्तर काफी गंभीर है यह बच्चों की सेहत के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। प्रदूषण बच्चों पर तेजी से हमला करता है क्योंकि उनके शरीर का पूरा विकास नहीं हुआ होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जिन इलाकों या शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी खराब है वहां के बच्चों के फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है।
इन इलाकों और शहरों में रहने वाले बच्चे जब तक बड़े नहीं हो जाते हैं तब तक उनके फेफड़े ठीक से काम नहीं करते हैं। फेफड़े कमजोर होने के कारण बच्चों को बड़ा होने पर अस्थमा होने की आशंका रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन 2018 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 साल से कम उम्र के लगभग 93 प्रतिशत बच्चे जहरीली हवा में सांस लेते हैं।
यूनिसेफ ने रिपोर्ट में बताया है कि बच्चे प्रदूषित कणों को वयस्कों की तुलना में दो से तीन गुना अधिक मात्रा में लेते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे की सांस लेने की रफ्तार काफी तेज होती है। एक वयस्क एक मिनट में 12 से 18 बार सांस लेता है, जबकि बच्चे इतने ही समय में 20 से 30 बार सांस लेते हैं।
वहीं नवजात शिशु 60 सेकेंड में 30 से 40 बार सांस लेते हैं। यूनिसेफ के अनुसार, जहरीली हवा के कारण भारत सहित दक्षिण एशिया में हर साल लगभग 130,000 बच्चों की मौत हो जाती है।
पार्टिकुलेट मैटर्स अथवा पीएम के 2।5 स्तर का मतलब बेहद छोटे (2।5 माइक्रोन) आकार के छोटे वायु प्रदूषकों से है जो सांस के जरिए बच्चों के फेफड़ों की गहराई तक पहुंच जाते हैं। ये फेफड़ों के जरिए खून में चले जाते हैं और फिर पूरे शरीर में घूमते हैं।
इसके कारण बच्चे कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ये फेफड़ों, आंखों और मस्तिष्क जैसे अंगों को प्रभावित कर सकते हैं।
साल 2020 में दिल्ली में लगभग 57,000 ऐसी मौते हुईं थीं जिसके लिए प्रदूषित हवा को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ की वार्षिक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश की तुलना में भारत की पीएम 2।5 साद्रता 5।2 गुना अधिक है। यानी मानक से पांच गुना से ज्यादा खराब वायु गुणवत्ता में हम सांस ले रहे हैं।
दुनियाभर के देशों में भारत में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे खराब दिखाई पड़ता है। दुनिया के 180 देशों की वायु गुणवत्ता में भारत 168वें स्थान पर है। वैश्विक पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक-21 के मुताबिक, पड़ोसी मुल्क श्रीलंका 109, पाकिस्तान 142, नेपाल 145 और बांग्लादेश 162वें स्थान पर है। वैश्विक पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक-21 की रिपोर्ट के मुताबिक, 180 देशों की सूची में भारत का 168वां स्थान काफी डराने वाला है।
भारत के बाद हैती, चाड, बुरुंडी, म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे छोटे व अविकसित देश शामिल हैं। दुनिया के बड़े देश जैसे चीन (120), सऊदी अरब (90), रूस (58), इजरायल (29) और अमेरिका (24) जैसे देशों की स्थिति कहीं बेहतर है।
(Side Effects Of Air Pollution)
Read Also :How To Make Guava Halwa जानिए ऐसे बनाये अमरूद का हलवा
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.