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India News (इंडिया न्यूज),Gujarat News: वाइब्रेंट गुजरात का रिकॉर्ड तोड़ एमओयू है। यहां बता दें कि राज्य में 10वें वाइब्रेंट समिट में 26.33 लाख करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। यानी 41 हजार 299 एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। गुजरात ने 98 हजार 540 परियोजनाओं में 45 लाख करोड़ से अधिक के एमओयू पर हस्ताक्षर कर एक नई उपलब्धि हासिल की है।
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। यहां बताया जा रहा है कि साल 2022 में कोरोना महामारी के कारण स्थगित हुई वाइब्रेंट समिट में 57, 241 परियोजनाओं में 18.87 लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये थे।
जबकि जनवरी 2024 में आयोजित वाइब्रेंट समिट के इस 10वें संस्करण में 41,299 परियोजनाओं में रु. 26.33 लाख करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस तरह गुजरात के पास रु. 45 लाख करोड़ से अधिक के निवेश के लिए कुल 98,540 परियोजनाओं के लिए समझौता ज्ञापनों की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करना।
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का आयोजन 10 से 12 जनवरी 2024 तक गांधीनगर में किया गया था। इसे गेटवे टू द फ्यूचर की थीम पर आयोजित किया गया था। गुजरात के वाइब्रेंट समिट में पहुंचे देश-विदेश के राष्ट्रपति, बिजनेसमैन. वाइब्रेंट गुजरात समिट का आज आखिरी दिन था।
वाइब्रेंट गुजरात समिट का समापन समारोह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की मौजूदगी में हुआ। साथ ही केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नारायण राणे और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की मौजूदगी में एमएसएमई कॉन्क्लेव आयोजित किया गया।
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के 10वें संस्करण का समापन समारोह शुक्रवार को गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में आयोजित हुआ। देश-विदेश के अनेक प्रमुखों, राजदूतों, उद्योगपतियों की उपस्थिति में आयोजित हुई इस तीन दिवसीय समिट के समापन समारोह में संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता श्री अमित शाह ने कहा कि भारत के अमृत काल की प्रथम और गुजरात की दसवीं वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का आज समापन हुआ है। इस समिट में ‘संकल्प से सिद्धि के मार्ग’ का अद्भुत सशक्तिकरण हुआ है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में प्रथम समिट आयोजित हुई थी, जिसमें आज गुणात्मक परिवर्तन आया है। एक अर्थ में देखें, तो यह एक युग परिवर्तन की शुरुआत है। आज मैन्युफैक्चरिंग और इन्वेस्टमेन्ट के लिए विश्व में भारत तथा भारत में गुजरात पहली पसंद बना है। शाह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब देश की शासन धुरा संभाली, तब भारत अर्थव्यवस्था में 11वें क्रम पर था और आज विश्व में पांचवें क्रम पर है। यह निश्चित है कि आगामी समय में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। भारत की अध्यक्षता में जी-20 सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का मंत्र था। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ भारत विश्व मित्र के रूप में उभर रहा है।
शुक्रवार 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के सामर्थ्य एवं संकल्प को साकार कर भारत आज विश्व में अनेक नए आयामों के साथ आत्मविश्वास पूर्वक उभर रहा है। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट समिट ने आइडिया और इनोवेशन के प्लेटफॉर्म के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
इतना ही नहीं गुजरात ने वैश्विक निवेशों को परिणाम उन्मुख तरीके से कार्यान्वित किया है। गुजरात की इस सफल समिट का अनुकरण देश के दूसरे राज्य भी कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस पथ पर चल रहे विभिन्न राज्य तथा इसके चलते हमारा देश नए कीर्तिमान हासिल करेगा।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात में संपन्न हुई समिट को सफल बताते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि इस समिट के चलते गुजरात “विकसित भारत @2047” के लिए गेटवे बना है। समिट में 4 देशों के प्रमुखों, 100 देशों के प्रतिनिधियों तथा 16 कंट्री पार्टनर्स की सहभागिता स्वयं में एक सफल गाथा है।
नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2007 में गिफ्ट सिटी का जो विचार रखा, वह आज वटवृक्ष बना है। इसी तरह धोलेरा एसआईआर की जब शुरुआत हुई, तब आलोचक इसकी आलोचना कर रहे थे; परंतु इसके परिणाम आज आप सभी के सामने है। मांडल-बेचराजी आज ऑटो हब के रूप में उभरा है, तो दहेज में पेट्रोकेमिकल, भरूच में बल्क ड्रग पार्क, वडोदरा में बायोटेक्नोलॉजी पार्क के निर्माण के कारण गुजरात में निवेश की संभावनाएँ बढ़ी हैं। शाह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्ट्रक्चरल रिफॉर्म किया है।
इस रिफॉर्म से परफॉर्म बढ़ा है और इसके चलते इकोनॉमी में ट्रांसफॉर्मेशन आ रहा है। विश्व के मानचित्र में डार्क स्पॉट माना जाने वाला राज्य आज वाइब्रेंट स्पॉट के रूप में पहचाना जाने लगा है। भ्रष्टाचार मुक्त शासन, शांतिपूर्ण वातावरण तथा पारदर्शी शासन के फलस्वरूप आज गुजरात पूरे विश्व के लिए इन्वेस्टर चॉइस बना है। एक समय देश पॉलिसी पैरालिसिस से जूझ रहा था, जबकि आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अनेक नई मजबूत पॉलिसीस बनाई गई हैं।
उन्होंने कहा कि फ्यूचरिस्टिक इकोनॉमी में देश आज अग्रसर है। सेमीकंडक्टर, ग्रीन टेक्नोलॉजी, बायोफ्यूल जैसे नए उभरते क्षेत्रों में भारत आज अग्रणी बना है। गुजरात में इस पॉलिसी को परिणाम उन्मुख बनाने और धरातल पर प्रभावी तरीके से कार्यान्वित करने का श्रेय गुजरात की राज्य सरकार को जाता है।
उन्होंने कहा कि आगामी समय में स्वास्थ्य एवं शिक्षा; दोनों क्षेत्रों में भारत को अग्रसर बनाने वाली पॉलिसीज़ बनी है। इसके चलते भारत विश्व का एजुकेशन हब बनने में समर्थ बना है। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक व्हीकल, ग्रीन रोड स्ट्रैटेजी क्षेत्र में भी हम अग्रसर हैं। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को भी हम आगे बढ़ा रहे हैं। स्पेस सेक्टर में एक समय 9 बिलियन डॉलर का निवेश था, जिसे 2040 तक 40 बिलियन डॉलर पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के दसवें संस्करण के समापन अवसर पर गौरव के साथ कहा कि, सफलतापूर्वक संपन्न हुई अमृत काल की यह पहली समिट देश और दुनिया की बिजनेस कम्यूनिटी, थॉट लीडर्स और पॉलिसी मेकर्स के लिए समावेशी वृद्धि और सतत विकास का सामूहिक केंद्र बनी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में इस समिट को दो दशकों में निरंतर मिली सफलता से इसकी स्पीड और स्केल, दोनों बढ़ते गए हैं।
यही नहीं, दुनिया भर के देशों ने इस समिट में भाग लेकर वसुधैव कुटुम्बकम् – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के विचार को साकार किया है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि वाइब्रेंट समिट का 10वां संस्करण समृद्ध भारत का भविष्य सुनिश्चित करने वाला गोल्डन गेट-वे बनकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत @2047’ के विजन को साकार करेगा।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि गेट-वे टू द फ्यूचर की थीम के साथ आयोजित यह समिट सेमीकंडक्टर, रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), एयरोस्पेस और डिफेंस इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग जैसे नए युग के उभरते हुए सेक्टर्स के लिए उत्प्रेरक बनी है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने इस समिट में हुए कुल MOU के 50 फीसदी MOU ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में कर प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए ग्रीन ग्रोथ के विचार को चरितार्थ किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आयोजित की गई इस 10वीं वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में गुजरात ने ‘वाइब्रेंट गुजरात-वाइब्रेंट डिस्ट्रिक्ट’ का अभिनव दृष्टिकोण को अपनाकर 32 जिलों के MSMEs को ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र के साथ विकसित होने का मंच प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि राज्य के औद्योगिक विकास की रीढ़ MSME को प्रत्येक वाइब्रेंट समिट की सफलता से नया बल मिला है।
केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के 10वें संस्करण को विकास का नया अध्याय बताते हुए यह शुभकामनाएं दीं कि गुजरात अपने विकास की सभी सीमाओं को पार कर श्रेष्ठ राज्य बने। केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने समिट में जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधित्व को बड़ी सफलता बताया और कहा कि यह वाइब्रेंट समिट राज्य के सुनहरे भविष्य का दरवाजा खोलने का श्रेष्ठतम पुरुषार्थ है।
उन्होंने कहा कि गुजरात की वाइब्रेंट समिट में सहभागी हुए उद्योगपति और देश एवं दुनिया के प्रतिनिधियों ने गुजरात की शांति-सुरक्षा और राज्य सरकार के बिजनेस फ्रेंडली दृष्टिकोण में अपना भरोसा व्यक्त किया है, और इसलिए ही गुजरात राज्य निवेशकों का पसंदीदा स्थल बन गया है।
रूपाला ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता, प्रेरक नेतृत्व और मार्गदर्शन के कारण गुजरात की यह साख बनी है। इस अवसर पर उन्होंने गुजरात में विशाल समुद्र तट पर फिशरीज सेक्टर में विकास की अपार संभावनाओं का उल्लेख करते हुए उद्योगपतियों को इस क्षेत्र में निवेश के लिए आगे आने का आमंत्रण दिया।
जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट निवेशकों और उद्योग जगत के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म है। आज भारत और दुनिया भर के उद्योग जगत के अग्रणी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट को आतुरता पूर्वक देखते हैं।
उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट समिट ने देश के अलग-अलग भागों में निवेश की नई संभावनाओं के सृजन और उद्योगों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और गृह मंत्री अमित शाह के विभिन्न प्रयासों से जम्मू कश्मीर में आए सकारात्मक परिवर्तन और विकास की बात करते हुए कहा कि राज्य की नई उद्योग नीति के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर में बहुत कम समय में 90,000 करोड़ रुपए का निवेश आया है। वहीं, आज इस समिट में जम्मू और कश्मीर के उद्योग विभाग और निवेशकों के बीच 3000 करोड़ रुपए से अधिक राशि के MOU हैं।
सिन्हा ने आगे कहा कि अतीत में भारत ‘सोने की चिड़िया’ के रूप में जाना जाता था, जिसका कारण भौतिक समृद्धि नहीं बल्कि उसकी शैक्षणिक संस्थाएं, यहां होने वाले शोध और उत्पादों का आविष्कार था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने शिक्षा की इस शक्ति को पहचानते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है, जो आने वाले समय में भारत को आर्थिक रूप से संपन्न और शक्तिशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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