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India News (इंडिया न्यूज), Farmers Protest: किसान आंदोलन के चलते आज बार्डर के कई इलाकों में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और कई रूट बदलने पड़े हैं। पंजाब से हरियाणा के अंबाला तक जाने वाली शंभू सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। दिल्ली से करीब 16 किलोमीटर दूर हरियाणा के बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर को भी पूरी तरह सील कर दिया गया है, क्योंकि ऐसा आशंका है कि किसान यहां से भी दिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं। दिल्ली से करीब 26 किमी दूर सिंघु बॉर्डर भी सील किया गया। पंजाब से हरियाणा तक की यह सीमा किसानों के लिए दिल्ली में प्रवेश का मार्ग भी है। यूपी को दिल्ली से जोड़ने वाले गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाई गई है। इसके अलावा दिल्ली के कालिंदी कुंज बॉर्डर पर भी फोर्स को तैनात किया गया है।
पंजाब को दिल्ली से जोड़ने वाली कई महत्वपूर्ण सड़कें भी बाधित हो गई हैं। इसीलिए हरियाणा पुलिस ने पहले ही एडवाइजरी जारी कर दिया है। अगर आपको बहुत जरूरी हो तभी पंजाब जाएं, पंजाब से दिल्ली आने से भी खुद को बचाएं। NH-44 चंडीगढ़ को दिल्ली से जोड़ता है। बैरिकेडिंग के कारण हाईवे पर जाम लग गया है।
मुसाफिर चंडीगढ़ के पास डेरा बस्सी, बरवाला, साहा, शाहबाद और कुरूक्षेत्र से होते हुए दिल्ली पहुंच सकते हैं। इसके अलावा दूसरा रास्ता एनएच-344 के जरिए पंचकुला से दिल्ली पहुंचने का है। यमुनानगर-इंद्री, करनाल होते हुए भी दिल्ली पहुंचा जा सकता है। यूपी की ओर जाने वाले लोग सोनीपत से केएमपी एक्सप्रेसवे का अनुसरण कर सकते हैं। वहीं, हरियाणा के अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जिंद, फतेहाबाद और सिरसा जिले आंदोलन प्रभावित क्षेत्र हैं। इसलिए इन क्षेत्रों में सावधानी बरतें आवश्यक होने पर ही यात्रा करें।
बता दें कि, किसान नेताओं ने मंगलवार को दावा किया है कि पुलिस कार्रवाई में 60 लोग घायल हुए हैं। पंजाब में किसानों को दो सीमा बिंदुओं पर आंसू गैस के गोले का सामना करना पड़ा, जिनमें से कुछ को ड्रोन के द्वारा गिराए गए है। ऐसा तब हुआ जब किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ने की कोशिश करते हुए हरियाणा पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शंभू सीमा पर संवाददाताओं से कहा कि, ”आज भारत के इतिहास में एक काला दिन है। जिस तरह से मोदी सरकार ने किसानों और खेतिहर मजदूरों पर हमला किया है वह बेहद ही शर्मनाक है।” पंधेर ने कहा कि, ”आज भी हम कहते हैं कि हम देश के किसान और मजदूर हैं और हम कोई युद्ध नहीं चाहते।”
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