संबंधित खबरें
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, अडानी-मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष कर सकता है चर्चा की मांग, जानें किन बिलों को लाने की तैयारी में केंद्र सरकार
इस राजपूत राजा ने सबसे पहले मुगलों में की थी अपनी बटी की शादी, आमेर किला नहीं एक रहस्यमयी इतिहास! जाने क्या इसके पिछे की कहानी?
एक हो जाएंगे चाचा-भतीजा! महाराष्ट्र में हार पर छलका शरद पवार का दर्द, NCP और अजित पवार को लेकर अब ये क्या कह दिया?
'सांसद होकर दंगे के लिए….' संभल हिंसा पर भड़के नरसिंहानंद सरस्वती, सांसद जियाउर्रहमान को दी गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी!
गूगल मैप्स के सहारे कार में सफर कर रहे थे 3 लोग, अधूरे फ्लाईओवर में जा घुसी गाड़ी, फिर जो हुआ…सुनकर मुंह को आ जाएगा कलेजा
‘ये मुगलों का दौर नहीं…’, संभल जामा मस्जिद सर्वे पर ये क्या बोल गए BJP प्रवक्ता? सुनकर तिलमिला उठे मुस्लिम
India News (इंडिया न्यूज), Kisan Andolan: भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है लेकिन यहां के किसानो को ही सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। सरकार करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन दे रही है, ऐसे में किसानों को एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं दी जा सकती? ऐसे ही न जाने कितने सवाल लोगों के मन में है। किसान संगठनों का अपना तर्क है और सरकार अलग ही बात कर रही है। वहीं इसमें राजनीति भी चल रही है। इसी बीच दिग्गज कृषि अर्थशास्त्री डॉ. अशोक गुलाटी ने देश की कृषि स्थिति को लेकर एक इंटरव्यू पंजाब में खेती को लेकर अपनी दिलचस्प बातें सामने रखी हैं।
अर्थशास्त्री से जब पूछा गया कि पंजाब के किसान संगठनों और सरकार के बीच विश्वास की कमी क्यों है? किसानों को समझाने के लिए क्या किया जा सकता है? आपको क्या लगता है कि उन्हें कैसे आश्वस्त किया जा सकता है कि वर्तमान कानून आपके सर्वोत्तम हित में है? जिसके बाद डॉ. गुलाटी ने कहा कि, ‘मैं जानता हूं कि किसान बहुत अच्छा नहीं कर रहे हैं लेकिन वे बहुत बुरा भी नहीं कर रहे हैं। कृषि साढ़े तीन फीसदी की दर से बढ़ रही है। आप उससे बेहतर कर सकते हैं। लेकिन कृषि क्षेत्र किसी भी राज्य में 7-8 फीसदी की रफ्तार बरकरार नहीं रख सकता।
अर्थशास्त्री आगे कहते है कि, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब गुजरात में कृषि क्षेत्र सालाना 9.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा था। जब तक वह सीएम रहे, यह सिलसिला 13 साल तक चलता रहा। बाद में एमपी ने ऐसा किया लेकिन पंजाब में कृषि क्षेत्र सालाना 2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। ऐसे में आपको एक अलग बास्केट की ओर बढ़ने की जरूरत है।
ये भी पढ़े- Surajkund Mela: जाना चाहते है परिवार के साथ सूरजकुंड मेले, तो जानें क्या है टिकट से लेकर सारी जानकारी
उन्होंने कहा कि गेहूं और चावल आपको ज्यादा कुछ नहीं दे सकते है। साल 1960 और 70 के दशक में इसकी जरूरत थी लेकिन आज अधिशेष चावल का उत्पादन हो रहा है और कोई इसे नहीं चाहता। आप इसे सरकार के पास छोड़ दीजिए और सरकार क्या करेगी? वह इसे मुफ्त में बांटेंगी।’ डॉ. गुलाटी ने कहा कि वास्तव में सुधार की शुरुआत सार्वजनिक वितरण प्रणाली से होनी चाहिए। आप उन्हें भोजन कूपन दें और उन्हें 15 वस्तुएं खरीदने दें। किसी को दाल, तिलहन, तेल या अंडा या दूध चाहिए। आप उन्हें चावल या दाल खरीदने के लिए क्यों बाध्य करते हैं? यही समस्या है। गेहूं और चावल से किसानों की आय नहीं बढ़ सकती। यह बात याद रखनी चाहिए कि आपको उच्च मूल्य वाली खेती की ओर बढ़ना होगा।
पंजाब को लेकर कृषि-अर्थशास्त्री ने कहा कि, पंजाब को धान पैदा करने के लिए प्रति हेक्टेयर 30,000 रुपये की सब्सिडी मिलती है। इसमें छूट पर उपलब्ध उर्वरक और मुफ्त बिजली शामिल है। अगर वह दलहन-तिलहन उगाएगा तो उसे न तो उतनी खाद की जरूरत पड़ेगी और न ही पानी की।
ये भी पढ़े-
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.