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Kisan Andolan: 'आज गेहूं-चावल की जरूरत किसे', किसान आंदोलन के बीच अर्थशास्त्री का बड़ा बयान

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : February 17, 2024, 10:03 am IST
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Kisan Andolan: 'आज गेहूं-चावल की जरूरत किसे', किसान आंदोलन के बीच अर्थशास्त्री का बड़ा बयान

Kisan Andolan

India News (इंडिया न्यूज), Kisan Andolan: भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है लेकिन यहां के किसानो को ही सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। सरकार करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन दे रही है, ऐसे में किसानों को एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं दी जा सकती? ऐसे ही न जाने कितने सवाल लोगों के मन में है। किसान संगठनों का अपना तर्क है और सरकार अलग ही बात कर रही है। वहीं इसमें राजनीति भी चल रही है। इसी बीच दिग्गज कृषि अर्थशास्त्री डॉ. अशोक गुलाटी ने देश की कृषि स्थिति को लेकर एक इंटरव्यू पंजाब में खेती को लेकर अपनी दिलचस्प बातें सामने रखी हैं।

खेती में कितने प्रतिशत का ग्रोथ 

अर्थशास्त्री से जब पूछा गया कि पंजाब के किसान संगठनों और सरकार के बीच विश्वास की कमी क्यों है? किसानों को समझाने के लिए क्या किया जा सकता है? आपको क्या लगता है कि उन्हें कैसे आश्वस्त किया जा सकता है कि वर्तमान कानून आपके सर्वोत्तम हित में है? जिसके बाद डॉ. गुलाटी ने कहा कि, ‘मैं जानता हूं कि किसान बहुत अच्छा नहीं कर रहे हैं लेकिन वे बहुत बुरा भी नहीं कर रहे हैं। कृषि साढ़े तीन फीसदी की दर से बढ़ रही है। आप उससे बेहतर कर सकते हैं। लेकिन कृषि क्षेत्र किसी भी राज्य में 7-8 फीसदी की रफ्तार बरकरार नहीं रख सकता।

मोदी के समय में कृषि में ग्रोथ बढ़ा 

अर्थशास्त्री आगे कहते है कि, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब गुजरात में कृषि क्षेत्र सालाना 9.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा था। जब तक वह सीएम रहे, यह सिलसिला 13 साल तक चलता रहा। बाद में एमपी ने ऐसा किया लेकिन पंजाब में कृषि क्षेत्र सालाना 2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। ऐसे में आपको एक अलग बास्केट की ओर बढ़ने की जरूरत है।

संरक्षित खेती की पूरी जानकारी, क्या हैं फायदे और कैसे कर सकते हैं शुरूआत

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उच्च मूल्य वाली खेती की ओर देना होगा ध्यान 

उन्होंने कहा कि गेहूं और चावल आपको ज्यादा कुछ नहीं दे सकते है। साल 1960 और 70 के दशक में इसकी जरूरत थी लेकिन आज अधिशेष चावल का उत्पादन हो रहा है और कोई इसे नहीं चाहता। आप इसे सरकार के पास छोड़ दीजिए और सरकार क्या करेगी? वह इसे मुफ्त में बांटेंगी।’ डॉ. गुलाटी ने कहा कि वास्तव में सुधार की शुरुआत सार्वजनिक वितरण प्रणाली से होनी चाहिए। आप उन्हें भोजन कूपन दें और उन्हें 15 वस्तुएं खरीदने दें। किसी को दाल, तिलहन, तेल या अंडा या दूध चाहिए। आप उन्हें चावल या दाल खरीदने के लिए क्यों बाध्य करते हैं? यही समस्या है। गेहूं और चावल से किसानों की आय नहीं बढ़ सकती। यह बात याद रखनी चाहिए कि आपको उच्च मूल्य वाली खेती की ओर बढ़ना होगा।

पंजाब की कृषि व्यवस्था कैसी

पंजाब को लेकर कृषि-अर्थशास्त्री ने कहा कि, पंजाब को धान पैदा करने के लिए प्रति हेक्टेयर 30,000 रुपये की सब्सिडी मिलती है। इसमें छूट पर उपलब्ध उर्वरक और मुफ्त बिजली शामिल है। अगर वह दलहन-तिलहन उगाएगा तो उसे न तो उतनी खाद की जरूरत पड़ेगी और न ही पानी की।

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