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India News (इंडिया न्यूज़), Ranji Trophy: तुषार देशपांडे और तनुश कोटियन ने मंगलवार (27 फरवरी) को रिकॉर्ड तोड़ दिए। दोनों खिलाड़ी ने रणजी ट्रॉफी में शतक लगा कर इतिहास रच दिया। रणजी ट्रॉफी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब नंबर 10 और नंबर 11 जोड़ी ने एक साथ शतकीय पारी खेली। वही टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ दूसरी बारी नंबर 10 और नंबर 11 के बल्लेबाज ने एक साथ शतकीय पारी खेली है। इससे पहले भी टेस्ट क्रिकेट में ऐसा भारतीय जोड़ी ने ही की थी। 1946 भारत के में चंदू सरवटे और शुट बनर्जी ने सरे के खिलाफ इंडियंस के लिए खेलते हुए नंबर 10 और नंबर 11 पर बल्लेबाजी करते हुए शतक लगाए थे। यह उन कई टूर मैचों में से एक था जो भारत ने 1946 में इंग्लैंड के अपने पांच महीने के दौरे में खेले थे।
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यह शानदार साझेदारी तब समाप्त हुई जब देशपांडे 129 गेंदों पर 123 रन बनाकर आउट हो गए। दूसरे छोर पर कोटियन 129 गेंदों पर 120 रन बनाकर नाबाद रहे। जब यह जोड़ी एक साथ बल्लेबाजी करने आई तो स्कोर 9 विकेट पर 337 रन था। साझेदारी के अंत में मुंबई ने 569 रन बनाए। उनकी साझेदारी ने एक तरह से बड़ौदा को खेल से बाहर कर दिया है, मुंबई ने उन्हें अंतिम दिन 606 रनों का लक्ष्य दिया है।
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कोटियन ने सबसे पहले 115 गेंदों में नौ चौकों और तीन छक्कों की मदद से अपना शतक पूरा किया। इसके बाद देशपांडे ने 112 गेंदों में अपना शतक बनाया। उनके इस पारी में आठ चौके और छह छक्के शामिल थे। दोनों बल्लेबाजों का यह टेस्ट में पहला शतक था।
बता दें यह तीसरी बार है जब कोई भारतीय जोड़ी आखिरी विकेट के लिए 200 से अधिक रन बनाने में सफल रही है। देशपांडे का 123 रन किसी भारतीय नंबर 11 बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सर्वोच्च टेस्ट स्कोर भी है।
यह कुल मिलाकर किसी भारतीय जोड़ी द्वारा 11वें नंबर पर तीसरा और रणजी ट्रॉफी के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा स्कोर है। इससे पहले सरवटे और बंजर्जी ने साझेदारी ने 249 रन की साझेदारी की थी। वहीं अजय शर्मा और मनिंदर सिंह ने 1991-92 के रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में वानखेड़े स्टेडियम में बॉम्बे के खिलाफ 233 रन बनाए थे।
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