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India News (इंडिया न्यूज), Lok Sabha Election: पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार के नेतृत्व वाली समिति द्वारा की गई समीक्षा के बाद पुणे पुलिस ने 85 ‘गैर-वर्गीकृत सुरक्षा प्राप्त लोगों’ (Non-Categorised Protectees) के सुरक्षा कवर को वापस ले लिया है। इस फैसले में 23 प्रतिष्ठानों के सुरक्षा कवर को बदल दिया गया है। इन प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में लगाये गये 300 से अधिक कर्मियों को मुक्त कर दिया जायेगा, और इनकी ड्यूटी अब कहीं और लगाई जायेगी। यह फैसल आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर लिया गया है।
बताया जा रहा है कि जिन 85 लोगों की सुरक्षा कवर वापस लिया गया है, वे कुल 110 व्यक्तियों में से हैं जिन्हें सुरक्षा कवर दिया जा रहा था। जिन लोगों का कवर वापस लिया गया है उनमें कुछ राजनीतिक नेता हैं और कुछ बिजनेस क्षेत्र से जुड़े हैं। जिन लोगों की सुरक्षा बरकरार रखी गई है उनमें वे लोग शामिल हैं जो कुछ मामलों में गवाह या शिकायतकर्ता हैं, सामाजिक कार्यकर्ता और जिनके खतरे की आशंका का आकलन स्थानीय इकाई स्तर पर किया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, समीक्षा के लिए समिति की बैठक के बाद, 23 प्रतिष्ठानों के सुरक्षा कवर में बदलाव किया गया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब हम चुनाव के लिए तैयारी कर रहे हैं। यह समीक्षा लगभग 300 कर्मियों को मुक्त कर देती है जिन्हें चुनाव से संबंधित कार्यों सहित विभिन्न आवश्यक कर्तव्यों के लिए आवंटित किया जाएगा।
महाराष्ट्र स्टेट में पुलिस इकाइयाँ दो अलग-अलग समितियों की सिफारिशों के आधार पर व्यक्तियों को सुरक्षा कवर प्रदान करती हैं। एक समिति एक राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति है जिसमें सुरक्षा तंत्र के प्रमुख अधिकारी शामिल होते हैं। यह समिति खुफिया जानकारी सहित विभिन्न कारकों के आधार पर तय किए गए खतरे की धारणा के आधार पर एक्स से जेड+ तक की श्रेणियों में सुरक्षा की सिफारिश करती है। इस राज्य स्तरीय समिति द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों को ‘वर्गीकृत संरक्षित’ (categorised protectees) कहा जाता है।
अन्य समिति व्यक्तिगत पुलिस इकाई स्तर पर है जैसे बड़े शहरों के लिए जिले या पुलिस आयुक्तालय। इन समितियों का नेतृत्व पुलिस आयुक्त या पुलिस अधीक्षक जैसे व्यक्तिगत यूनिट कमांडरों द्वारा किया जाता है। ये इकाई स्तर की समितियाँ अपने अधिकार क्षेत्र में लोगों को या तो उनके द्वारा मूल्यांकन किए गए खतरे की धारणा के आधार पर या पुलिस सुरक्षा चाहने वालों के आवेदनों की समीक्षा के आधार पर सुरक्षा प्रदान करती हैं। इस समिति द्वारा अनुशंसित लोगों के समूह को ‘गैर-वर्गीकृत संरक्षित व्यक्ति’ कहा जाता है।
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