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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Ganesh Chaturthi 2021: भगवान गणेश (Lord Ganesha) को देवों में सबसे पहला दर्जा दिया गया है। हर माह की चतुर्थी को भगवान गणेश को समर्पित हैं, लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था. इसलिए उनकी इस चतुर्थी को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार यह चतुर्थी 10 सितंबर को पड़ रही है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर देशभर में करीब 10 दिनों तक उत्सव चलता है। बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल अक्सर आता होगा कि गणपति बप्पा को हर साल घर में लाकर बाद में विसर्जित क्यों कर दिया जाता है। आज हम इस बारे में विस्तार से बताते हैं। दरअसल गणपति को घर लाने और विसर्जन करने के पीछे एक प्राचीन कथा प्रचलित है।
धर्म शास्त्रों के मुताबिक दुनिया के सबसे ग्रंथ महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी। हालांकि उसे लिखने का काम गणपति जी ने किया था। महाभारत लिखने का यह काम पूरे 10 दिनों तक चला था। उस दौरान गणपति ने दिन- रात काम करके इस काम को पूरा किया। किया था। इस कार्य के दौरान गणपति के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए महर्षि वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप कर दिया था। माना जाता है कि चतुर्थी के दिन महाभारत के लेखन का ये कार्य पूरा हुआ था। यह कार्य पूर्ण होने के बाद महर्षि वेद व्यास ने चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा की. इस दौरान दिन-रात काम करने की वजह से गणपति काफी थक गए थे। लेप सूखने की वजह से उनके शरीर का तापमान भी बढ़ गया था। महर्षि वेद व्यास ने ने उन्हें अपनी कुटिया में रखकर काफी सेवा की। साथ ही उनकी पसंद के तमाम पसंदीदा व्यंजन बनाकर खिलाए। उनके शरीर के बढ़े तापमान को नियंत्रित करने के लिए सरोवर में डुबोया. माना जाता है कि तभी से चतुर्थी के दिन गणपति को घर लाने की प्रथा चली आ रही है। इसलिए लोग गणपति बप्पा के नारे लगाते हुए गणेश चतुर्थी के दिन विनायक को अपने घर लेकर आते हैं। इसके बाद अपनी श्रद्धानुसार 5 से 9 दिनों तक उनकी सेवा करते हैं और घर में स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर गणेश जी को भोग लगाते हैं। इसके बाद पानी में उनकी प्रतिमा को विसर्जित कर देते हैं।
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