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Lok Sabha Election: क्या डर गए राहुल गांधी? रायबरेली से हां तो अमेठी को क्यों किया ना!-Indianews

PUBLISHED BY: Shubham Pathak • LAST UPDATED : May 3, 2024, 11:54 am IST
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Lok Sabha Election: क्या डर गए राहुल गांधी? रायबरेली से हां तो अमेठी को क्यों किया ना!-Indianews

Rahul Gandhi

India News(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election: देश की सबसे चर्चित सीटों मे एक मानी जाने वाली अमेठी लोकसभा सीट को लेकर कई सारी अटकलें सामने आ रही है। जहां अब कंग्रेस ने अमेठी से अपने उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा की दावेदारी की घोषणा की है। लेकिन इन सबके बीच सवाल ये उठ रहा है कि, 2019 से पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी में कांग्रेस को अपने उम्मीदवार की घोषणा करने में इतना समय क्यों लग गया। राहुल गांधी 2019 में हार के बाद इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए क्यों मना किए। क्या राहुल गांधी अमेठी में स्मृति ईरानी के सामने चुनाव लड़ने से डर गए है?

यूपी से नहीं लड़ना चाहते है चुनाव?

मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को यूपी से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी नेताओं को लंबे समय तक मौन करना पड़ा। जिसके बाद राजनीतिक रणनीतिकारों का कहना है कि, राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे। यही वजह है कि इन दोनों सीटों पर पार्टी के नेता भी कुछ भी कहने से बचते रहे। वहीं कल देर रात कोई बैठक में राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया। ऐसे में उन्हें विरासत का हवाला देकर रायबरेली के लिए मनाया गया।

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इसके साथ ही पार्टी नेताओं का मानना है कि विपरीत परिस्थितियों में भी रायबरेली की जनता ने कांग्रेस का हाथ नहीं छोड़ा था। अभी भी वहां पार्टी को लेकर उत्साह है। यह कांग्रेस के लिए प्रदेश की सबसे सुरक्षित सीट है। इस वजह से इस सीट को नही छोड़ा जा सकता है। इस पर राहुल ने हामी भरी।

क्या कहते है राजनीतिक रणनीतिकार?

माना जाता है कि कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राहुल गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने की सलाह दी है, जो गांधी परिवार की सीट है, और प्रियंका गांधी वाड्रा को अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ लड़ने की सलाह दी है। कई नेताओं ने कहा कि प्रियंका गांधी ने देश भर में पार्टी के लिए प्रचार करने की अपनी प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए चुनाव से बाहर होने का फैसला किया है। उन्होंने पहली बार इस व्यापक भूमिका को संभाला है।

गांधी परिवार के लिए सबसे सुरक्षित सीट

अमेठी के अन्य पारिवारिक गढ़ की तुलना में रायबरेली एक सुरक्षित सीट है। राहुल गांधी के लिए अमेठी का मतलब एक और कठिन मुकाबला होता। 2019 के चुनाव में, जब कांग्रेस उत्तर प्रदेश की अन्य सीटों से साफ हो गई थी, सोनिया गांधी रायबरेली में 55.8% वोट पाने में सफल रहीं। इसके साथ ही सोनिया गांधी के राज्यसभा में जाने के बाद कांग्रेस के लिए उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला एक शीर्ष नेता होना जरूरी है।

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (कर्नाटक), महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल (केरल) और मुख्य प्रवक्ता जयराम रमेश (कर्नाटक) दक्षिण से हैं। उत्तर भारत से अपने शीर्ष नेता को मैदान में उतारना राजनीतिक रूप से विवेकपूर्ण था।

कांग्रेस का दक्षिण में प्रदर्शन

इसके साथ ही बता दें कि, कांग्रेस ने दक्षिण भारत में बेहतर प्रदर्शन किया है। उत्तर भारतीय राज्यों में, खासकर उन छह राज्यों में जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से है, अगर पार्टी सत्ता में वापस आना चाहती है तो उसे अपनी सीटों की संख्या में सुधार करना होगा। चुनाव से पहले कांग्रेस ने दो दक्षिण भारतीय राज्यों-कर्नाटक और तेलंगाना में जीत हासिल की, लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसे हार का सामना करना पड़ा। उत्तर भारत में कांग्रेस केवल हिमाचल प्रदेश में सत्ता में है और झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।

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