संबंधित खबरें
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, अडानी-मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष कर सकता है चर्चा की मांग, जानें किन बिलों को लाने की तैयारी में केंद्र सरकार
इस राजपूत राजा ने सबसे पहले मुगलों में की थी अपनी बटी की शादी, आमेर किला नहीं एक रहस्यमयी इतिहास! जाने क्या इसके पिछे की कहानी?
एक हो जाएंगे चाचा-भतीजा! महाराष्ट्र में हार पर छलका शरद पवार का दर्द, NCP और अजित पवार को लेकर अब ये क्या कह दिया?
'सांसद होकर दंगे के लिए….' संभल हिंसा पर भड़के नरसिंहानंद सरस्वती, सांसद जियाउर्रहमान को दी गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी!
गूगल मैप्स के सहारे कार में सफर कर रहे थे 3 लोग, अधूरे फ्लाईओवर में जा घुसी गाड़ी, फिर जो हुआ…सुनकर मुंह को आ जाएगा कलेजा
‘ये मुगलों का दौर नहीं…’, संभल जामा मस्जिद सर्वे पर ये क्या बोल गए BJP प्रवक्ता? सुनकर तिलमिला उठे मुस्लिम
India News(इंडिया न्यूज),Rahul Gandhi: रायबरेली गांधी परिवार की परंपरागत सीट है। यहां से सोनिया गांधी, इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी सांसद रह चुके हैं। गांधी परिवार का इस सीट से काफी भावनात्मक जुड़ाव है। जब इस बार सोनिया गांधी की जगह राहुल ने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो सोनिया ने चुनाव प्रचार के दौरान रायबरेली की जनता से कहा था कि मैं अपना बेटा आपको सौंप रही हूं। इसके अलावा यूपी की राजनीति के लिहाज से भी रायबरेली कांग्रेस और राहुल दोनों के लिए काफी अहम है। इस बार जब राहुल ने रायबरेली से चुनाव लड़ा तो इसका असर कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी पड़ा। पिछले चुनाव में एक सीट पर सिमटने वाली कांग्रेस ने इस बार यूपी में छह सीटें जीतीं और अब कांग्रेस की नजर 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव पर है।
रायबरेली में जीत के बाद धन्यवाद कार्यक्रम में शामिल हुए राहुल गांधी ने 11 जून को कहा था, ”मेरी बहन ने यहां जो मेहनत की, दिन में दो घंटे सोई और रायबरेली में चुनाव के लिए काम किया, उसके लिए मैं प्रियंका और आप सभी का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। मेरे पास एक और विचार है, जिसके बारे में मैं आपको बाद में बताऊंगा।” ऐसा लगता है कि इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हुई बैठक में इसी विचार को अंतिम रूप दिया गया, जिसे कांग्रेस अपने लिए राजनीतिक संजीवनी कह सकती है।
देश के सबसे बड़े चुनावी राज्य में कांग्रेस दो विधानसभा सीटों पर सिमट गई है, जबकि 10 साल बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 10 फीसदी के करीब पहुंचा और सीटें बढ़कर छह हो गईं। अब रायबरेली सीट के साथ अमेठी भी जीत चुकी कांग्रेस को लगता है कि अखिलेश यादव से गठबंधन से मिलने वाले फायदे को और मजबूत किया जा सकता है और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की धीरे-धीरे खोई जमीन को फिर से हासिल किया जा सकता है।
PM मोदी दो दिवसीय दौरे पर इस दिन जाएंगे श्रीनगर, यहां देखें कार्यक्रम शेड्यूल
इस बार के चुनाव नतीजों के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के दिमाग में यह बात आई है कि अगर दिल्ली तक अपना आधार मजबूत करना है तो यूपी में सीट और जमीन दोनों बचानी होगी। रायबरेली हो या अमेठी, अगर किसी ने प्रचार करके जमीन मजबूत की है तो वो हैं प्रियंका गांधी। जिन्होंने रायबरेली में नौ दिन और अमेठी में सात दिन प्रचार किया। इस बार पिछले तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में रहा। सीटें बढ़ीं, वोट शेयर भी बढ़ा। अब कांग्रेस की रणनीति है कि राहुल रायबरेली सीट अपने पास रखें और पार्टी को फ्रंट से यूपी में आगे ले जाएं, फिर अगर 2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन होता है तो मौका मिल सकता है।
यूपी में कांग्रेस हाशिए पर है, यूपी में 80 लोकसभा सांसदों में से छह कांग्रेस के हैं, जबकि 2014 में दो और 2019 में सिर्फ एक सांसद है. देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में कांग्रेस के दो विधायक हैं और 33 राज्यसभा सांसदों में से एक भी कांग्रेस का सांसद कांग्रेस का नहीं है. यूपी विधान परिषद की 100 सीटों में से एक भी कांग्रेस का एमएलसी नहीं है. रायबरेली हो या अमेठी, अगर किसी ने प्रचार कर जमीन मजबूत की तो वो प्रियंका गांधी ही थीं, जिन्होंने रायबरेली में नौ दिन और अमेठी में सात दिन प्रचार किया. अब उत्तर प्रदेश की यही सीट उनके भाई के पास रहेगी और प्रियंका वायनाड से अपना चुनाव अभियान शुरू करेंगी क्योंकि कम से कम 15 साल बाद कांग्रेस को लगा है कि यूपी में हालात बदले जा सकते हैं।
‘छोटी सी गड़बड़ी मोदी सरकार को गिरा सकती है…’, राहुल गांधी ने कर दिया बड़ा दावा- IndiaNews
इस बार राहुल गांधी ने अमेठी की जगह रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया, जो सही साबित हुआ। राहुल ने वायनाड और रायबरेली दोनों जगहों से बड़े अंतर से जीत दर्ज की। रायबरेली में राहुल 3 लाख 90 हजार से ज्यादा के अंतर से चुनाव जीते, जबकि वायनाड में उनकी जीत का अंतर 3 लाख 64 हजार से ज्यादा रहा। राहुल को एक सीट छोड़नी थी, इसलिए उन्होंने वायनाड सीट छोड़ दी। इस चुनाव में सीपीआई ने राहुल के खिलाफ एनी राजा को मैदान में उतारा। हालांकि सीपीआई भारत गठबंधन का हिस्सा है, इसके बावजूद एनी राजा ने वायनाड में राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ा। बीजेपी ने केरल यूनिटी के अध्यक्ष सुरेंद्रन पर दांव लगाया था, लेकिन राहुल बड़े अंतर से जीत गए।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.