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India News, NEET Paper Leak Case Latest Update, नीट पेपर लीक कांड में जहां एक तरफ CBI ने भी एफआईआर दर्ज कर ली है, वहीं दूसरी तरफ बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को अहम सुराग मिले हैं। पड़ताल के दौरान सामने आया है कि NEET का पेपर लीक की साजिश को अंजाम देने के लिए डार्कनेट (Darknet) का इस्तेमाल किया गया था। डार्कनेट, ऑनलाइन दुनिया का एक काला सच है, जहां पर कई तरह के साइबर क्राइम होते हैं। यहां पर ऐसी तकनीक का इस्तेमाल होता है जिसके जरिए किसी अपराधी के लिए छुप पर क्राइम करना आसान होता है। जानें कैसे काम करती है ये काली दुनिया और यहां क्या-क्या होता है?
Internet के हैं तीन हिस्से
इंटरनेट की दुनिया के बारे में ऐसी कई बातें हैं, जिससे आम आदमी अंजान है। इंटरनेट के तीन हिस्से हैं- सरफेस वेब, डीप वेब और डार्क वेब। सरफेस वेब इंटरनेट का सिर्फ 4% हिस्सा है। 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। डीप वेब का मलतब पासवर्ड वाला कंटेंट है, जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आते हैं। डार्क वेब पर ड्रग्स, चाईल्ड पॉर्न, मर्डर की सुपारी, हथियार, पासवर्ड जैसी अवैध चीजों की खरीद-फरोख्त होती है।
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कैसे काम करता है Darknet?
डार्क वेब को लिए एक ब्राउजर का इस्तेमाल होता है, जिसे ‘टॉर’ कहते हैं। इंटरनेट की काली दुनिया में ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी यूज की जाती है, जिसकी वजह से यूजर्स ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचे रहते हैं। डार्क वेब में आईपी एड्रेस को ट्रैक नहीं किया जा सकता और नतीजा ये होता है कि अपराधी बचकर निकल जाते हैं। डार्क वेब पर करेंसी भी अलग तरीके से इस्तेमाल होती है। यहां पर बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी यूज की जाती है ताकि लेन-देन को ट्रेस ना किया जा सके। इस वजह से डार्क वेब के यूजर्स के साथ भी क्राइम हो जाते हैं।
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नहीं होते सिर्फ बुरे काम
हालांकि, डार्क वेब का इस्तेमाल सिर्फ बुरे कामों के लिए नहीं होता है। डार्क वेब की दुनिया को कई मुखबिर और खोजी पत्रकार भी इस्तेमाल करते हैं, जिसके जरिए घोटालों या गैरकानूनी गतिविधि का पर्दाफाश किया जाता है। कई खोई चीजों को ढूंढ़ने के लिए भी इसका यूज करते हैं. डार्क वेब पर कई ऐसी किताबें भी मिल जाती हैं, जिनका पब्लिकेशन अब नहीं होता है या इंटरनेट से डिलीट हो चुकी कई मीडिया रिपोर्ट्स भी यहां मिल जाती हैं।
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