संबंधित खबरें
इस स्पा सेंटर में दिन के बजाए रात में आते थे ज्यादा कस्टमर…पुलिस ने जब मारा छापा तो उड़ गए सभी के होश, जाने क्या है मामला
पति-पत्नी के साथ सोती थी ननद, 4 साल बाद सामने आया ऐसा काला सच, सुनते ही टूट गए महिला के अरमान
महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों को लगा एक और झटका, अब विधानसभा में नहीं मिलेगा यह अहम पद, जानें क्या हैं कारण?
कार में था परिवार और सड़क पर गुस्साई भीड़ से मार खा रहा था पुलिसकर्मी… जाने क्या है मामला, वीडियो देख हो जाएंगे हैरान
जीत के बाद भी झारखंड में हारी कांग्रेस! हेमंत सोरेन ने दिया ऐसा तगड़ा झटका, अब राहुल गांधी हो गए चारों खाने चित?
चुनाव में मिली जीत का मन रहा था जश्न तभी हुआ कुछ ऐसा…मच गई चीख पुकार, वीडियो देख नहीं होगा आखों पर विश्वास
India News (इंडिया न्यूज), Manish Sisodia’s Bail: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार ने गुरुवार को निजी कारणों का हवाला देते हुए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। मनीष सिसोदिया ने शराब नीति मामले में अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में अपनी जमानत याचिका को फिर से शुरू करने की मांग की।
वह 16 महीने से अधिक समय से जेल में हैं। जस्टिस संजीव खन्ना, संजय करोल और संजय कुमार की तीन जजों की बेंच आज मामले की सुनवाई करने वाली थी। हालांकि, जस्टिस कुमार ने खुद को अलग कर लिया और कोर्ट ने मामले को 15 जुलाई से शुरू होने वाले एक सप्ताह में फिर से सूचीबद्ध कर दिया।
सोमवार को सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई के लिए दबाव डाला। सीजेआई ने कहा कि वह याचिका पर गौर करेंगे और सिंघवी को आश्वासन दिया कि याचिका में दोष दूर होते ही मामले की सुनवाई की जाएगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 22 मई को कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के मामलों में मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सिसोदिया ने अपने लक्ष्य के अनुरूप जनमत को गढ़ा और गढ़ा तथा अपने द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट से भटककर आबकारी नीति बनाने की प्रक्रिया को बाधित किया। न्यायालय ने तीखी टिप्पणियां कीं और कहा कि सिसोदिया ने जनता का विश्वास तोड़कर लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ विश्वासघात किया है।
न्यायालय ने माना कि सिसोदिया ने जनता के विश्वास का उल्लंघन किया और अब समाप्त हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति का मसौदा तैयार करने में दिल्ली सरकार में मंत्री के रूप में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश द्वारा लगाई गई “सुनवाई में देरी” की शर्त के अलावा, हाईकोर्ट गुण-दोष के आधार पर जमानत पर फैसला करने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकता है।
फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया यह भी माना कि सिसोदिया ने अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति का मसौदा तैयार करने के लिए जनता से मिली प्रतिक्रिया को गढ़ा और गढ़ा, जिसका वास्तव में उद्देश्य दक्षिण समूह के सदस्यों को लाभ पहुंचाना था।
पीठ ने यह भी कहा कि उन्होंने दिल्ली के मंत्री के रूप में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके नीति में अपनी इच्छानुसार हेरफेर किया। हाईकोर्ट ने दिल्ली शराब नीति तैयार करने में सिसोदिया की कार्रवाई को लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ बड़ा विश्वासघात बताया।
कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि ईडी और सीबीआई ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का प्रथम दृष्टया मामला बनाया है। यह देखते हुए कि सिसोदिया एक शक्तिशाली व्यक्ति हैं और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री हैं, कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो वे सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.