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India News (इंडिया न्यूज़), NEET UG 2024 Exam: देशभर में नीट पेपर लीक का मामला बड़ा मुद्दा बना रहा। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा है कि नीट परीक्षा दोबारा नहीं होगी, तो चलिए जानते हैं कि वे कौन से प्रमुख आधार हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में 20 लाख से ज्यादा छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखा है। सीजेआई ने कहा कि दागी छात्रों को बेदाग छात्रों से अलग किया जा सकता है। अगर जांच में पेपर लीक के लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी सामने आती है, तो काउंसलिंग के बाद भी ऐसे छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नए सिरे से परीक्षा कराने का निर्देश देने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसका असर इस परीक्षा में शामिल होने वाले 24 लाख से ज्यादा छात्रों पर पड़ेगा।
नीट परीक्षा में एक प्रश्न के दो उत्तरों के लिए दिए गए अंकों के मामले में आईआईटी दिल्ली का कहना है कि पहला विकल्प ‘परमाणु विद्युत रूप से तटस्थ होते हैं क्योंकि उनमें धनात्मक और ऋणात्मक आवेश बराबर होते हैं’ सही है। दूसरा विकल्प ‘प्रत्येक तत्व के परमाणु स्थिर होते हैं और अपना विशिष्ट स्पेक्ट्रम उत्सर्जित करते हैं’। NTA ने दोनों विकल्पों में से किसी एक को सही चुनने वालों को पूरे 4 अंक देने का फैसला किया था। करीब 9 लाख अभ्यर्थियों ने पहला विकल्प चुना था। 4 लाख से ज्यादा ने दूसरा विकल्प चुना था।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि CBI की रिपोर्ट से पता चलता है कि जांच जारी है। सीबीआई ने संकेत दिया है कि हजारीबाग और पटना के परीक्षा केंद्रों से चुने गए 155 छात्र धोखाधड़ी के लाभार्थी प्रतीत होते हैं। CBI की जांच अभी अंतिम चरण में नहीं है, इसलिए इस कोर्ट ने पिछले आदेश में केंद्र से पूछा था कि क्या 571 शहरों के 4750 केंद्रों के परिणामों से असामान्यता के बारे में कुछ रुझान निकाले जा सकते हैं।
नीट मामले में आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट में कहा गया है कि नीट यूजी परीक्षा में बड़े पैमाने पर पेपर लीक नहीं हुआ है। शिक्षा मंत्रालय के कहने पर आईआईटी मद्रास ने डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें परीक्षा में शामिल होने वाले 1.4 लाख छात्रों का विश्लेषण किया गया था। कोर्ट ने इस चरण में एनटीए द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए डेटा की भी जांच की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, फिलहाल रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिसे देखकर यह कहा जा सके कि परीक्षा का परिणाम प्रभावित हुआ है या परीक्षा की पवित्रता का व्यवस्थित उल्लंघन हुआ है। रिकॉर्ड पर मौजूद डेटा पेपर के व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देता है। हमने पिछले तीन सालों के परिणामों की तुलना की है। परीक्षा में खामियों के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।
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