भोले के भक्तों पर चढ़ी मोदी की दीवानगी, भगवान शंकर के साथ कंधे पर ली PM की प्रतिमा | Kanwar Yatra 2024 Bholenath devotees are crazy about Modi, carry PM statue on their shoulders along with Lord Shankar
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भोले के भक्तों पर चढ़ी मोदी की दीवानगी, भगवान शंकर के साथ कंधे पर ली PM की प्रतिमा

Babli • LAST UPDATED : July 29, 2024, 12:07 pm IST
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भोले के भक्तों पर चढ़ी मोदी की दीवानगी, भगवान शंकर के साथ कंधे पर ली PM की प्रतिमा

Sawan 2024

India News (इंडिया न्यूज़), Kanwar Yatra 2024: सावन का महीना चल रहा है लोग शिवजी को जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से कावड़ लेकर बाबा को जल चढ़ाने के लिए निकल पड़ते हैं। हर साल कावड़ यात्रा में कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता है। कंधे पर जल चढ़ाने तो हजारों लोग जाते हैं लेकिन इस बार नजारा कुछ अलग ही दिखाई दे रहा है। जी हां इस बार कावड़ यात्रा में श्रद्धालु प्रधानमंत्री मोदी की मूर्ति को कंधे पर बिठाकर जल चढ़ाने के लिए निकल पड़ते है। वहीं दूसरे कवड़ ने भी कंधे पर भगवान शिव की मूर्ति को बिठा रखा है।

  • PM मोदी की प्रतिमा लिए निकला कावड़िया
  • क्या होती है कांवड़ यात्रा

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PM मोदी की प्रतिमा लिए निकला कावड़िया

हालांकि भोले बाबा की मूर्ति को कंधे पर बैठा हर साल एक या दो कांवड़ियों को देखा जाता हैं। लेकिन इस साल नजारा कुछ अलग देखने को मिल रहा है। शायद पहली बार है जब किसी कावड़ को कंधे पर पीएम मोदी की मूर्ति बैठाए देखा जा सकता है। बता दे की ये नजारा हरिद्वार में बागपत के रूपेंद्र तोमर का है जहां उपेंद्र प्रधानमंत्री मोदी और सोनू ने भगवान शिव की मूर्ति को अनुष्ठान स्थान के लिए हर की पौड़ी ले जा रहे हैं।

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क्या होती है कांवड़ यात्रा

कांवड़ा यात्रा एक बहुत ही जरूरी हिंदू तीर्थ यात्रा है। जो उत्तर भारत में मनाई जाती हैं। बता दें की शिव भक्तों को कांवड़ियों के नाम से भी जाना जाता है। इस समय शिव भक्त गंगा, जमुना, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों से जल लेने के लिए पैदल जाते है और फिर यह जल शिव मंदिर में चढ़ाया जाता है। सावन के महीने में होने वाली यात्रा के दौरान कांवड़ियें या तो भगवा या नीले रंग के कपड़े पहनते हैं और अपने कंधों पर कावड़ यानी बांध के छड़े रखते हैं। इस छड़ी के दोनों तरफ पवित्र जल के बर्तन होते हैं। ये यात्रा कई दिनों तक चलती है। इसमें कांवड़िए हरिद्वार, कंकोत्री, गोमुख, वाराणसी जैसे तीर्थ स्थल से जल इकट्टा कर अपने स्थानीय शिव मंदिर में चढ़ाते हैं।

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