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India News (इंडिया न्यूज), Delhi High Court Blasted On MCD IAS Coaching Case: आयुष शर्मा की रिपोर्ट – दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राऊ कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से 3 बच्चों की जान चली गई। इस घटना दिल्ली के साथ देश को हिलाकर रख दिया। बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में राजेंद्र नगर की घटना की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति की मांग वाली याचिका पर सुनावाई हुई और इस दौरान कई कोचिंग संस्थान से लेकर MCD तक की लापरवाही उजागर हुई और कोर्ट ने नगर निगम को फटकार लगाई और गुरुवार को एमसीडी आयुक्त को तलब किया है।
इस केस की हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि इसी साल, 26 जून को राउ IAS के अवैध संचालन के संबंध में एक पत्र भेजा गया था, उसके बाद दो अनुस्मारक भेजे गए लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर समय रहते कार्रवाई की जाती तो उन तीन लोगों की जान बच सकती थी।
सरकारी वकील ने जवाब में कहा कि कोचिंग सेंटरों के लिए अनुमति इमारतों की प्रकृति के कारण विधिवत दी गई थी। बेसमेंट का उपयोग स्टोर के लिए किया जा सकता है। निरीक्षण के बाद फायर डिपार्टमेंट की मंजूरी लेनी होती है।
सरकारी वकील ने कहा कि ‘अधिकारी निरीक्षण कर रहे हैं। करीब 75 संस्थानों को नोटिस जारी किए गए। 35 बंद कर दिए गए और 25 को सील कर दिया गया। मैं किसी बात को उचित नहीं ठहरा रहा हूं, लेकिन कार्रवाई की जा रही है’।
इसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर MCD को जमकर फटकार लगाई है और कहा कि ‘दिल्ली नगर निकाय एक मजाक है’। कोर्ट ने कहा कि ‘ऐसी घटना आखिर क्यों हुई? जब आप उपनियमों को उदार बना रहे थे, तो इस सदियों पुराने बुनियादी ढांचे को पहले ही अपग्रेड क्यों नहीं किया गया? इस शहर की बुनियादी संरचना और वर्तमान जरूरतों के बीच बड़ा अंतर है। आप बहुमंजिला इमारतों की अनुमति दे रहे हैं, लेकिन कोई उचित नाली नहीं है। आपने सीवेज को स्टॉर्म वॉटर ड्रेन के साथ मिला दिया है, जिससे पानी का बहाव उल्टा हो रहा है।
कोर्ट ने कहा कि ‘आपके विभाग दिवालिया हो चुके हैं। अगर आपके पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप बुनियादी ढांचे को कैसे उन्नत करेंगे? आप “Freebie Culture” चाहते हैं। आप कोई पैसा इकट्ठा नहीं कर रहे हैं, इसलिए आप कोई पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं। हम MCD से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कहते हैं। वे कहते हैं कि 5 करोड़ रुपये से ज़्यादा की कोई भी परियोजना स्थायी समिति द्वारा स्वीकृत की जाएगी। लेकिन कोई समिति नहीं है। आप हर बाईपासर के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन MCD अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
ACJ ने सवाल किया कि ‘दिल्ली पुलिस कहां है? कौन जांच कर रहा है? वहां इतना पानी कैसे जमा हो गया?’ इस पर सरकारी वकील ने बताया कि कुछ नगर निगम अधिकारियों को उनकी चूक के कारण बर्खास्त कर दिया गया।
सरकारी वकील के जवाब पर कोर्ट ने पूछा- ‘आपने जूनियर अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है लेकिन उस वरिष्ठ अधिकारी का क्या हुआ जिसे निगरानी करनी चाहिए थी? कभी-कभी वरिष्ठ अधिकारियों को आना पड़ता है और स्वीकार करना पड़ता है। वे अपने AC कार्यालयों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
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अगर ठीक से जांच नहीं हुई तो….
ACJ ने कहा है कि यदि जांच अधिकारी ठीक से जांच नहीं करता है, तो हम इसे किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंप सकते हैं। हम आदेश पारित करेंगे, एक इस मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए। दुर्भाग्य से बहुत से अधिकारी परस्पर विरोधी उद्देश्यों के लिए काम कर रहे हैं। दिल्ली के पूरे प्रशासनिक ढांचे की फिर से जांच की जानी चाहिए।
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