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India News (इंडिया न्यूज), Sheikh Hasina: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना विशेष विमान से दिल्ली आ गई। ऐसा कहा जा रहा था कि वह देश को संबोधित करना चाहती थीं, लेकिन हंगामा इतना बढ़ गया था कि वह ऐसा नहीं कर पाईं। प्रदर्शनकारी छात्र उनके दरवाजे तक पहुंच गए थे। इस वजह से उन्होंने देश छोड़कर चले जाना ही बेहतर समझा। लेकिन अब वह भाषण सामने आया है, जिसमें शेख हसीना देश छोड़ने से पहले अपने देशवासियों से क्या कहना चाहती थीं, यह सामने आ गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में रह रहीं शेख हसीना ने अपने करीबियों से उस भाषण के बारे में बात की है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कुछ पल और मिलते तो वो अपने देश के लोगों से बात करना चाहतीं। वो उन्हें बताना चाहतीं कि उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है? देश के खिलाफ किस तरह की साजिश रची जा रही है। लेकिन उन्हें ये सब करने का समय नहीं मिला। उन्हें अपनी पार्टी के लोगों से बात करने का भी समय नहीं मिला।
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शेख हसीना ने पार्टी के करीबी लोगों को भेजे संदेश में कहा, मैंने प्रधानमंत्री पद सिर्फ इसलिए छोड़ा क्योंकि मैं लाशों का जुलूस नहीं देखना चाहती थी। वे छात्रों की लाशों पर चढ़कर सत्ता हासिल करना चाहते थे, लेकिन मैंने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। इसलिए मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना उचित समझा। अगर मैं वहां प्रधानमंत्री बनी रहती तो हालात और खराब होते। अगर मैं देश में रहती तो और लोगों की जान जाती, और संसाधन नष्ट होते। इतना ही नहीं, अगर मैं सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को सौंप देती तो यह सब कुछ नहीं होता।
शेख हसीना ने अपने देश के लोगों से खास अपील की कि वे कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं। बाग्लादेश को बचाएं। शेख हसीना ने अपने लोगों से कहा, मेरा देश छोड़ने का फैसला बहुत कठिन था। मैं आपकी नेता थी, लेकिन आप ही मेरी ताकत हैं। मुझे दुख है कि अवामी लीग के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। मैं जल्द ही वापस आऊंगी। आवामी लीग बार-बार खड़ी हुई है। एक बार फिर खड़ी होगी। आरक्षण के मुद्दे पर, जिस पर यह बवाल मचा हुआ है, शेख हसीना ने कहा था कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा तो किसे आरक्षण का लाभ मिलेगा, रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा।
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