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India News (इंडिया न्यूज), Sheikh Hasina: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद वो भागकर भारत आ गई थी। परंतु क्या पता है हसीना के इस सियासी तख्तापलट के पीछे उनके करीबियों का ही हाथ था। जिसका अब पर्दाफाश हो गया है। एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक हसीना के तख्तापलट के पीछे उनके करीबी मंत्रियों और अधिकारियों की भूमिका सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कानून मंत्री, कानून सचिव, बैंक ऑफ बांग्लादेश के गवर्नर, आईटी मंत्री और खुफिया शाखा के प्रमुख के गलत फैसलों ने ठंडे पड़ रहे प्रदर्शनों को फिर से भड़काने में अहम भूमिका निभाई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना इजाजत मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल करना और छात्रों से जबरन पूछताछ करना हसीना सरकार के लिए महंगा साबित हुआ।फोर्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय की जानकारी के मुताबिक कुछ मंत्री और अधिकारी हसीना के प्रति वफादार नहीं थे और तख्तापलट की साजिश में शामिल थे। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद 5 अगस्त को प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास में घुसकर लूटपाट की। 15-20 जुलाई के बीच सेना और पुलिस ने आंदोलन को काबू में कर लिया था, लेकिन 28 जुलाई को आईटी मंत्री द्वारा बिना इजाजत इंटरनेट सेवा बहाल करने के बाद आंदोलन फिर भड़क गया। आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों में 11 हजार से ज्यादा छात्रों को गिरफ्तार किया गया।
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बांग्लादेश तख्तापलट की अंदरूनी कहानी जानकर पूरी दुनिया हैरान है। दरअसल 28 जुलाई की सुबह 10 बजे बांग्लादेश के प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव तफज्जुल हुसैन मियां और बैंक ऑफ बांग्लादेश के गवर्नर अब्दुल रऊफ तालुकदार के बीच अहम बातचीत हुई। इस बातचीत में रऊफ ने तफज्जुल पर जल्द से जल्द मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल करने का दबाव बनाया। रऊफ ने कहा कि इंटरनेट बंद होने की वजह से बैंक में लेन-देन काफी कम हो गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तफज्जुल ने तत्कालीन दूरसंचार और आईटी राज्य मंत्री जुनैद अहमद पलक से संपर्क किया। जुनैद अहमद पलक ने बातचीत में कहा कि वह मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना की अनुमति का इंतजार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें पीएम के सलाहकार से संकेत मिले हैं और जल्द ही इंटरनेट सेवा शुरू कर दी जाएगी।
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जुनैद अहमद पलक ने कहा कि फेसबुक और टिकटॉक जैसी सोशल मीडिया साइट्स ब्लॉक रहेंगी। उन्होंने आगे कहा कि मोबाइल इंटरनेट 10 दिनों से बंद है और उन्हें लगता है कि इसे आज किसी भी कीमत पर शुरू किया जाना चाहिए, भले ही पीएम की अनुमति न मिले। उसी दिन दोपहर 1:19 बजे हसीना सरकार में कानून सचिव गुलाम सरवर और खुफिया शाखा के प्रमुख हारुन रशीद के बीच भी बातचीत हुई। हारुन ने लगातार सरवर पर रिमांड के लिए दबाव बनाया ताकि गिरफ्तार छात्र नेताओं से सख्ती से पूछताछ की जा सके। हारुन ने जोर देकर कहा कि बिना पूछताछ के वे छात्रों से सही जवाब नहीं निकाल पाएंगे और इसके लिए उन्हें रिमांड की जरूरत है।
बता दें कि, 6 छात्र नेताओं की गिरफ्तारी के अगले दिन 28 जुलाई को सुबह 10:43 बजे कानून मंत्री अनीशुल हक और पीएमओ के प्रधान सचिव तफज्जुल के बीच बातचीत हुई। अनीशुल हक ने स्पष्ट किया कि उन्हें इन गिरफ्तार छात्रों को सुरक्षित घर में रखने की सलाह दी गई है। उन्होंने गृह मंत्री से बात करने का सुझाव दिया ताकि इन छात्रों को सुरक्षित तरीके से रखा जा सके। इस बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता खालिदा जिया के सलाहकार अब्दुल हाय सिकदर और जमाल सिद्दीकी के बीच भी एक अहम बातचीत हुई। जिसमें उन्होंने माना कि शेख हसीना का सत्ता से जाना तय है। उन्हें डर है कि सत्ता सेना के हाथ में आ सकती है।
दरअसल, उसी दिन पत्रकार इमरान हसन मजूमदार से बात करते हुए विपक्षी रिवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी के महासचिव सैफुल्लाह हक ने बताया कि हसीना सरकार को गिराने के लिए विपक्षी दलों में आम सहमति बन गई है और सभी सरकार विरोधी ताकतें एक साथ आ गई हैं। जिसके बाद 27 जुलाई को दोपहर 1:54 बजे जब प्रदर्शन अपने चरम पर था, तब अब्दुल हाय सिकदर ने कहा कि इतने छात्रों की मौत के बाद सरकार का सत्ता में बने रहना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि शेख हसीना और उनका परिवार जल्द ही देश छोड़कर भाग जाएगा और सत्ता सेना के हाथ में आ सकती है। इस बीच 5 अगस्त 2024 को जब शेख हसीना देश छोड़कर चली गईं तो आंदोलनकारी छात्रों ने प्रधानमंत्री आवास में घुसकर जमकर लूटपाट की।
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