संबंधित खबरें
दुश्मनी के बावजूद भी क्यों पांडवों ने कर्ण के बेटे को सौंप दिया था इन्द्रप्रस्थ का राजपाठ? कौन था कर्ण का वो एक बेटा जो रह गया था जीवित?
कलियुग की स्त्रियों को लेकर श्रीकृष्ण की अर्जुन से कही ये 3 बातें आज हो रही है पत्थर की लकीर की तरह सच, जानें सबकुछ
पर्स में ये एक चीज रखते ही खींची आती है मां लक्ष्मी…पैसों के साथ-साथ जीवन में भी भर देती है सुख-समृद्धि
2025 में राहु-केतु करेंगे इन 3 राशियों का बंटा धार, राजा से फ़कीर बनाने में नहीं छोड़ेंगे कोई कसर, जानें नाम
शिव की नगरी काशी से कभी नहीं लानी चाहिए ये 2 चीजें घर, पाप नहीं महापाप बन जाएगी आपकी ये भूल?
पूरे 9 साल के बाद इन 5 राशियों पर शांत हुआ मां काली का गुस्सा, अब जिंदगी में दिखेंगे दो बड़े बदलाव
India News (इंडिया न्यूज), Kop Bhawan: रामायण में कैकयी की कहानी में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है कोप भवन का। यह विशेष भवन शाही परिवार के असंतुष्ट सदस्यों को अपनी नाराजगी और गुस्सा प्रकट करने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। लेकिन कोप भवन कोई साधारण स्थान नहीं था। यह एक विशेष प्रकार की इमारत थी, जहां शाही नियमों और परंपराओं के अनुसार कड़ी शर्तों का पालन करना पड़ता था। आइए जानें कि कोप भवन क्या था और इसके नियम क्या थे।
कोप भवन एक ऐसा विशेष कक्ष या भवन था, जो महलों के निकट ही बनाया जाता था। यह भवन आमतौर पर अंधेरे और विलासिता से रहित होता था, जिससे वहां रह रहे व्यक्ति को एकांतवास और शोक की स्थिति का अनुभव हो। इस भवन को कालकोठरी जैसा माना जा सकता है, जिसमें कोई भी आरामदायक सुविधा नहीं होती थी।
कोप भवन में प्रवेश करने से पहले, रानी को अपने सभी शाही वस्त्र और गहने त्यागने पड़ते थे। यह शाही आभूषण और वस्त्र त्यागना उनके शाही दर्जे और सम्मान को नकारने के समान होता था।
रानी को अपने बाल खुले रखने होते थे और सारा श्रृंगार त्याग देना पड़ता था। यह उनके दुख और असंतोष को स्पष्ट रूप से दिखाने का एक तरीका था।
मौत से ठीक 48 घंटे पहले आत्मा को मिलते हैं ये 5 अनजाने संकेत, जिनसे खुद शरीर भी होता हैं बेखबर
कोप भवन में रहते हुए रानी न तो खाना चाहती थीं और न ही किसी प्रकार का राजसी सुख भोगना चाहती थीं। यह एक प्रकार की आत्म-पीड़ा और शोक की स्थिति होती थी, जिसमें रानी खुद को कमरे में बंद कर लेती थी।
कोप भवन में राजा के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। रानी के लिए यह अनिवार्य था कि राजा उन्हें मनाकर वहां से बाहर निकालें। अगर राजा वहां नहीं गए, तो रानी अपना शरीर त्यागने की स्थिति में भी आ सकती थीं।
नारियो के अपमान पर हुए थे ये 3 बड़े युद्ध, पापियों का हुआ था ऐसा हश्र?
रानी को कोप भवन से बाहर आने का अवसर तब मिलता था, जब राजा उन्हें वहां से बाहर निकालने का निर्णय लेते थे और उन्हें मनाते थे। रानी की वापसी राजा की कृपा पर निर्भर करती थी।
कोप भवन का उद्देश्य शाही परिवार के असंतुष्ट सदस्यों को एक कड़ी अनुशासनात्मक स्थिति में डालना था, जिससे उनकी नाराजगी और गुस्से को प्रकट करने के लिए उन्हें इस तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़े। यह एक सामाजिक और राजसी दबाव बनाने का तरीका था, जो रानियों को अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए मजबूर करता था, जबकि उन्हें अपने शाही सम्मान और सुख को त्यागने की सजा दी जाती थी।
इस प्रकार, कोप भवन शाही परिवार के अनुशासन और असंतोष प्रकट करने की परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो बहुत कड़े नियमों और शर्तों के साथ शाही जीवन की जटिलताओं को दर्शाता है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.