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India News (इंडिया न्यूज़),Polaris Dawn Mission: जुनून कई बार आपसे ऐसे काम करवा देता है, जो कल्पना से परे होते हैं, लेकिन अरबपति जेरेड इसाकमैन ने अपने जुनून के चलते इतिहास रच दिया। अपने पैसों से वो अपने तीन दोस्तों को अंतरिक्ष की उस दुनिया में ले गए, जहां 50 साल से कोई नहीं गया। तीन दिन तक वो अपने दोस्तों के साथ धरती से 1400 किलोमीटर ऊपर मौज-मस्ती करेंगे। चांद-तारों की दुनिया के बीच वो स्पेसवॉक करेंगे। उनके इस सपने को पूरा करने में अरबपति एलन मस्क ने मदद की है,तो आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
अरबपति कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने मंगलवार को पोलारिस डॉन मिशन लॉन्च किया। अरबपति जेरेड इसाकमैन अपने बेहद करीबी दोस्त स्कॉट ‘किड’ पोटेट, स्पेसएक्स इंजीनियर एना मेनन और सारा गिलिस के साथ स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से अंतरिक्ष की यात्रा पर गए। इस रॉकेट ने चारों लोगों को धरती से 1,400 किलोमीटर ऊपर पहुंचाया। नासा के अपोलो मिशन के बाद अब तक धरती से इतनी ऊंचाई पर कोई इंसान नहीं गया है। अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाते हैं, जो धरती से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर है। यानी मस्क का रॉकेट इससे तीन गुना ज़्यादा दूर तक गया है।
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पूरे मिशन का खर्च अरबपति जेरेड इसाकमैन ने उठाया है। उन्होंने यह नहीं बताया कि इसकी लागत कितनी है, लेकिन माना जा रहा है कि यह करोड़ों डॉलर होगी। क्योंकि इससे पहले ड्रैगन कैप्सूल की सीटें करीब 55 मिलियन डॉलर में बिकी थीं। इसाकमैन ने इसके बाद दो बार और अंतरिक्ष में जाने की योजना बनाई है। इसके पीछे कई उद्देश्य हैं। पहला उद्देश्य यह देखना है कि धरती से इतनी ऊंचाई पर गुरुत्वाकर्षण मानव शरीर को कैसे प्रभावित करता है। दूसरा, यह जांचना कि क्या कोई इंसान वहां जीवित रह पाएगा या नहीं। इससे भविष्य के चंद्र और मंगल मिशनों के लिए रास्ता खुलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर निजी कंपनियां अंतरिक्ष में उतरती हैं, तो पर्यटन के लिए इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का खर्च कम हो जाएगा।
यह मिशन 6 दिनों तक चलेगा। क्रू मेंबर धरती की सबसे ऊंची कक्षा में पहुंचने के बाद 40 तरह के एक्सपेरिमेंट करेंगे। दो अंतरिक्ष यात्री स्पेसवॉक करेंगे। वे ड्रैगन कैप्सूल के बाहर करीब 15 से 20 मिनट बिताएंगे। यह काफी जोखिम भरा है। बिजनेसमैन जेरेड इसाकमैन और गिलिस अलग-अलग स्पेसवॉक करेंगे। इससे पहले 1965 में एड व्हाइट ने भी ऐसा ही स्पेसवॉक किया था। यह काफी मुश्किल है, क्योंकि वहां वैक्यूम की स्थिति होगी। अजीब तापमान होगा और रेडिएशन उच्च स्तर पर होगा। मिशन के तीसरे दिन यानी 12 सितंबर को स्पेसवॉक होगी। मिशन के दौरान चारों पृथ्वी की सबसे ऊंची कक्षा में कुल 5 दिन बिताएंगे।
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