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India News (इंडिया न्यूज़),Haryana Polls: पिछले 10 सालों से हरियाणा पर नज़र रखने वाले लोगों को शायद ही पता होगा कि एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस के शासनकाल में हरियाणा गलत कारणों से बदनाम हुआ करता था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में राज्य सरकार एक खास समुदाय के प्रति झुकी हुई नज़र आई। इसका नतीजा यह हुआ कि दूसरे समुदायों के लोगों को भारी भेदभाव और असमानता का सामना करना पड़ा। उन्हें दमनकारी माहौल में समय बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा।
कांग्रेस के कार्यकाल में इस खास समुदाय को इतनी आज़ादी और प्राथमिकता दी गई कि दूसरे समुदायों के पास डर, भ्रष्टाचार और भेदभाव का सामना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन दिनों नौकरियां उन्हीं को दी जाती थीं जो सबसे ज़्यादा बोली लगाने को तैयार होते थे। ‘ख़र्ची-पर्ची’ की व्यवस्था राज्य सरकार के कामकाज का हिस्सा बन गई थी।
पूरी व्यवस्था पर एक समुदाय का कब्ज़ा था इसलिए जहाँ भी मलाई मिलती थी, उसका एक बड़ा हिस्सा सिर्फ़ उसी समुदाय के लिए आरक्षित कर दिया जाता था। दूसरे समुदायों के लोगों को पूरी व्यवस्था से व्यवस्थित तरीके से दूर रखा जाता था, जहाँ उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता था। सरकार एक खास समुदाय के नियंत्रण में थी और पूरा प्रशासन उसके नियंत्रण में था।
नौकरी मिलने पर भी एक खास समुदाय को प्राथमिकता दी जाती थी। दूसरे समुदाय के लोग कष्ट झेलने को मजबूर थे। इसका नतीजा यह हुआ कि जो समुदाय तत्कालीन व्यवस्था की नजरों में नहीं थे, वे आर्थिक रूप से गरीब से भी गरीब होते चले गए। भेदभाव और असमानता का सामना करते हुए उनमें निराशा पनपने लगी।
सबसे घिनौनी बात यह है कि तत्कालीन राज्य सरकार ने उस खास समुदाय को इतनी आजादी दे रखी थी कि उसके लोग चाहे कोई भी अपराध करें, उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी, केस दर्ज करना तो दूर की बात है। खास समुदाय के प्रति इस रवैये का नतीजा यह हुआ कि उसके सदस्य और भी बेलगाम हो गए। क्योंकि, उन्हें पता था कि वे चाहे कोई भी अपराध करें, पुलिस प्रशासन के हाथ उन्हें छूते ही कांपने लगेंगे।
ऐसे माहौल के कारण अन्य समुदाय के लोगों में भय और आतंक का माहौल था। वे खुद को इतना असहाय महसूस करने लगे थे कि उन्हें न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी और न ही वे प्रशासन और सरकार से सुरक्षा की उम्मीद कर सकते थे।
इस माहौल ने हरियाणा की बहनों और बेटियों में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी थी। जिस तरह से बाहर उत्पीड़न और हिंसा का माहौल बनाया गया था, उन्हें अपने घरों की चारदीवारी के भीतर कैद रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह ऐसा समय था जब बेटियों को न तो आजादी की उम्मीद थी और न ही समान अवसर मिलने की संभावना थी। जब समाज में सुरक्षा का माहौल नहीं था, तो अन्य चीजें दूर की कौड़ी थीं।
एक तरह से एक समुदाय विशेष का ‘गुंडाराज’ स्थापित हो गया था। वे जो चाहें कर सकते थे। वे जिससे भी कहते, उन्हें करने के लिए मजबूर किया जाता था। उनमें न तो मना करने की हिम्मत थी और न ही समुदाय विशेष इसे बर्दाश्त करने को तैयार था। एक तरह से कांग्रेस के उस काल में पूरा सामाजिक ताना-बाना बर्बाद हो गया था। हुड्डा सरकार सिर्फ एक समुदाय की सुन रही थी। बाकी समुदाय को पूरी तरह से और व्यवस्थित तरीके से दरकिनार कर दिया गया था।
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