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आखिर क्यों अपने ही छोटे भाई लक्ष्मण को भगवान श्रीराम ने दे दिया था मृत्युदंड?

PUBLISHED BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : September 17, 2024, 9:36 pm IST
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आखिर क्यों अपने ही छोटे भाई लक्ष्मण को भगवान श्रीराम ने दे दिया था मृत्युदंड?

Shree Ram & Lakshman: श्रीराम ने यमराज से किया हुआ वादा याद किया और वे एक गहरे धर्मसंकट में पड़ गए। यमराज के साथ हुई शर्त के अनुसार, जो भी वार्ता के बीच में बाधा डालेगा उसे मृत्युदंड दिया जाना था।

India News (इंडिया न्यूज), Shree Ram & Lakshman: श्रीराम और लक्ष्मण के रिश्ते का महत्त्व और उनके बीच गहरे प्रेम का वर्णन रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। लक्ष्मण, भगवान श्रीराम के लिए न केवल एक भाई थे, बल्कि वह उनके सबसे करीबी और विश्वसनीय साथी भी थे। लक्ष्मण ने श्रीराम के साथ वनवास का कठिन समय बिताया और हर परिस्थिति में उनके साथ खड़े रहे। लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब भगवान श्रीराम को अपने सबसे प्रिय भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देने का कठोर निर्णय लेना पड़ा।

यमराज की शर्त और लक्ष्मण का त्याग:

धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार यमराज श्रीराम से एक विशेष चर्चा करने के लिए अयोध्या आए। यमराज ने श्रीराम से कहा कि यह वार्ता गोपनीय होनी चाहिए और इस बीच अगर कोई उन्हें बीच में बाधित करेगा तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। श्रीराम ने यह शर्त मान ली और अपने छोटे भाई लक्ष्मण को द्वारपाल के रूप में नियुक्त कर दिया।

लक्ष्मण को आदेश दिया गया कि किसी भी परिस्थिति में कोई अंदर न आने पाए। इसी बीच महान ऋषि दुर्वासा श्रीराम से मिलने के लिए आए। लक्ष्मण ने उन्हें रोका, लेकिन ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने अयोध्या को श्राप देने की धमकी दी।

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लक्ष्मण जी धर्मसंकट में पड़ गए। एक ओर उन्हें श्रीराम का आदेश मानना था, और दूसरी ओर ऋषि दुर्वासा को रोकने से पूरे राज्य पर संकट आ सकता था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, लक्ष्मण ने श्रीराम के पास जाकर ऋषि दुर्वासा की उपस्थिति की जानकारी दी।

श्रीराम का कठिन निर्णय:

श्रीराम ने यमराज से किया हुआ वादा याद किया और वे एक गहरे धर्मसंकट में पड़ गए। यमराज के साथ हुई शर्त के अनुसार, जो भी वार्ता के बीच में बाधा डालेगा उसे मृत्युदंड दिया जाना था। लेकिन श्रीराम के लिए अपने भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देना असहनीय था। उन्होंने धर्म और वचन का पालन करते हुए लक्ष्मण को त्यागने का निर्णय लिया।

लक्ष्मण, जिन्होंने पूरी निष्ठा और समर्पण से श्रीराम की सेवा की थी, यह समझ गए कि अब उनका जीवन समाप्त हो गया है। अपने भाई की आज्ञा का पालन करते हुए और धर्म का निर्वाह करते हुए, लक्ष्मण ने जल समाधि ले ली और अपने जीवन का अंत कर दिया।

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इस कथा का संदेश:

इस घटना से हमें धर्म, वचन और कर्तव्य के महत्व का गहरा संदेश मिलता है। श्रीराम ने अपने सबसे प्रिय भाई के साथ भी धर्म और वचन के प्रति निष्ठा बनाए रखी। यह कथा यह भी दिखाती है कि धर्म का पालन करना कभी-कभी अत्यंत कठिन हो सकता है, लेकिन उसका पालन करना आवश्यक होता है।

लक्ष्मण का त्याग और श्रीराम का निर्णय हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन वह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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