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India News (इंडिया न्यूज), Middle East Tensions: इजरायल और लेबनान के बीच स्थिति भयावह होते जा रहा है। पिछले दिनों इजरायली सेना के द्वारा हिजबुल्लाह पर किए गए हमलों ने जंग की आहट को बढ़ावा दे दिया है। वहीं लेबनान के मौजूदा हालात और मध्य पूर्व में बढ़ते संघर्ष को लेकर फ्रांस चिंतित है। अब इस तनाव को कम करने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने लेबनान के प्रमुख नेताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने संसद के स्पीकर नबीह बेरी, कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती और सेना कमांडर जनरल जोसेफ औन से बात की है। साथ ही उन्होंने इजरायल के पीएम नेतन्याहू से भी फोन पर बात की है।
इमैनुएल मैक्रों ने दोनों पक्ष के नेताओं से बातचीत में संयम बरतने और तनाव को बढ़ने से रोकने की अपील की है। साथ ही फ्रांस ने साफ कर दिया है कि वह लेबनान के साथ खड़ा है। वहीं, फ्रांसीसी राष्ट्रपति के विशेष दूत जीन-यवेस ले ड्रियन की लेबनान की पहले से तय यात्रा में कोई बदलाव नहीं हुआ है और वह अगले सप्ताह की शुरुआत में लेबनान पहुंच सकते हैं। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच शांति बनाए रखने की अपील की है। हालांकि, इजरायल के नेताओं ने ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के खिलाफ युद्ध तेज करने के संकेत दिए हैं।
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हाल ही में लेबनान में हुए बम धमाकों पर फ्रांस के राष्ट्रपति ने गहरी चिंता जताई है, उन्हें लगता है कि इस घटना से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है। उन्होंने कहा है कि सभी लेबनानी दलों को संयम बरतना चाहिए। दरअसल, लेबनान की आजादी से पहले यह इलाका फ्रांस के कब्जे में था। लेबनान की धर्म आधारित राजनीतिक व्यवस्था भी फ्रांस की ही देन है। फ्रांस ने कई दशकों तक लेबनान पर शासन किया है, इसलिए वह इस पूर्व उपनिवेश के लिए खुद को जिम्मेदार मानता है। दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंध हैं। इसके अलावा लेबनान में फ्रेंच भाषा और संस्कृति का बहुत प्रभाव है।
बता दें कि, लेबनान में मौजूद हिजबुल्लाह गाजा पर इजरायल के हमलों के खिलाफ है। वह इस कार्रवाई के विरोध में लगातार इजरायल के उत्तरी इलाकों पर हमले कर रहा है। जिसके कारण हजारों यहूदियों को उत्तरी इजरायल के इलाके में बसी बस्तियों को छोड़ना पड़ा है। इसलिए इजरायल ने हिजबुल्लाह की ताकत को कम करने के लिए उस पर हमले शुरू कर दिए हैं। दरअसल मंगलवार और बुधवार को लेबनान में हज़ारों पेजर और वॉकी-टॉकी फट गए, जिसमें करीब 37 लोगों की मौत हो गई और 3 हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हो गए। माना जा रहा है कि इन धमाकों के पीछे इज़रायल का हाथ है। हालांकि इज़रायल ने सीधे तौर पर इसे स्वीकार नहीं किया है।
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