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India News (इंडिया न्यूज), PM Modi in QUAD Summit 2024: पीएम नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने क्वाड शिखर सम्मलेन में हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने डेलावेयर के विलमिंगटन में क्वाड शिखर सम्मेलन की शुरुआत करते हुए शनिवार (21 सितंबर) को अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि चतुर्भुज गठबंधन हमेशा के लिए यहां है और किसी के खिलाफ नहीं है। बता दें क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा बनाया गया एक समूह है जो इन देशों के बीच अनौपचारिक रणनीतिक संवाद के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह एक स्वतंत्र, खुला और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करता है और इन देशों को एक साथ लाता है। सही मायने में इसका मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकना और यहां शक्ति संतुलन बनाए रखना है।
साथ ही इन देशों ने उम्मीद जताई है कि आने वाले सालों में कुछ और देश भी इस समूह में शामिल होंगे। अब फिर से सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका अब अचानक से भारत को क्वाड का नेता मानने लगा है। इसके कई वजह हैं जिनमें से ब्रिक्स एक बड़ा वजह है। बता दें अमेरिकी दौरे के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेंगे जो इस बार रूस के शहर कज़ान में होने जा रहा है। इस सम्मेलन का आयोजन रूस कर रहा है जिसमें भारत, दक्षिण अफ्रीका, चीन और ब्राजील हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में ब्रिक्स मुद्रा (R5) लाने समेत कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा होने वाली है। इस फैसले को लेकर अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। अगर ब्रिक्स मुद्रा का इस्तेमाल व्यापार में होता है तो इसका सीधा असर अमेरिकी डॉलर पर देखने को मिल सकता है।
इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि अमेरिका इस समय डैमेज कंट्रोल करने की स्थिति में है। हाल ही में खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत पन्नू ने अमेरिका की एक जिला अदालत में मुकदमा दायर किया है, जिसमें उसने भारत सरकार पर उसकी हत्या की कोशिश करने का आरोप लगाया है। इस पर अमेरिका की जिला अदालत ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को तलब किया है। इसको लेकर प्रशासन यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में कोई खटास न आए।
वहीं, चर्चा यह भी है कि अमेरिका के इस तरह के बयान के पीछे चीन के साथ पावर गेम भी एक बड़ी वजह है। चीन जानता है कि क्वाड का मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन पर नजर रखना है, इसलिए संभव है कि वह क्वाड की निंदा करे। वहीं, रूस भी इसे लेकर इतना सहज नहीं दिख रहा है। वहीं, चीन और रूस ब्रिक्स के सदस्य भी हैं। ऐसे में अमेरिका रणनीतिक तौर पर दोनों को किसी तरह का मौका नहीं देना चाहता, इसलिए भारत के समर्थन में इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं।
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