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India News (इंडिया न्यूज), Siddhivinayaka Temple: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें सिद्धिविनायक मंदिर के प्रसाद के पैकेट में चूहों के बच्चे दिखाई देने का दावा किया गया था। इस वीडियो के कारण मंदिर की शुद्धता और प्रसाद की गुणवत्ता पर सवाल उठाए जाने लगे। श्रद्धालुओं में इसे लेकर गहरा आक्रोश देखा गया, और मंदिर प्रशासन पर सफाई देने का दबाव बढ़ने लगा।
वायरल वीडियो के जवाब में सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है। ट्रस्ट ने इस वीडियो को फर्जी बताते हुए स्पष्ट किया कि वीडियो में दिखाए गए दृश्य उनके मंदिर से संबंधित नहीं हैं। मंदिर प्रशासन का कहना है कि यह वीडियो किसी अन्य स्थान का हो सकता है, और इसे मंदिर की छवि खराब करने के उद्देश्य से फैलाया गया है।
ट्रस्ट ने यह भी कहा कि सिद्धिविनायक मंदिर में प्रसाद अत्यंत शुद्धता और सावधानी के साथ तैयार किया जाता है। हर कदम पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रस्ट ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है और मामले की जांच कराने की मांग की है।
सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट की ओर से श्रद्धालुओं को बांटे जाने वाले ‘महाप्रसाद लड्डू’ के पैकेट में चूहे के बच्चे मिले हैं। pic.twitter.com/igP621RAu6
— Hello (@hello73853) September 24, 2024
वायरल हुए वीडियो में दावा किया गया कि सिद्धिविनायक मंदिर के लड्डू प्रसाद के पैकेट में चूहों के बच्चे पाए गए। इस वीडियो के वायरल होते ही श्रद्धालुओं में प्रसाद की गुणवत्ता और मंदिर की सफाई को लेकर चिंता बढ़ गई। कई श्रद्धालुओं ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रसाद का निर्माण शुद्धता और पवित्रता के साथ होना चाहिए।
इस पूरे विवाद का असर अन्य मंदिरों पर भी पड़ा है। तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद को लेकर भी हाल ही में एक बड़ा विवाद खड़ा हुआ था। आरोप था कि तिरुपति के प्रसाद में पशु चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस आरोप के बाद श्रद्धालुओं में हंगामा मच गया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल हो रहा था। हालांकि, इस आरोप का वाईएसआर पार्टी ने खंडन किया और इसे राजनीतिक लाभ के लिए फैलाया गया झूठ बताया।
तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद को “श्रीवारी लड्डू” के नाम से जाना जाता है, और यह पिछले 300 वर्षों से श्रद्धालुओं को वितरित किया जा रहा है। इस विवाद के बाद पूरे देश में मंदिरों के प्रसाद की शुद्धता पर सवाल उठने लगे हैं, और कई मंदिरों में प्रसाद की जांच की मांग की जा रही है।
भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों में प्रसाद का विशेष महत्व होता है। इसे भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, इसकी शुद्धता और पवित्रता बनाए रखना मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। ऐसे विवाद भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाते हैं और धार्मिक संस्थानों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर और तिरुपति मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर प्रसाद से जुड़े विवाद श्रद्धालुओं के बीच चिंता का कारण बनते हैं। मंदिर प्रशासन को ऐसे मामलों में पारदर्शिता बनाए रखते हुए जल्द से जल्द जांच कर स्पष्टता लानी चाहिए। इससे न केवल श्रद्धालुओं की आस्था बनी रहती है, बल्कि मंदिरों की गरिमा भी सुरक्षित रहती है।
मंदिरों के लिए यह आवश्यक है कि वे प्रसाद की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम मानकों का पालन करें, ताकि भक्तों को प्रसाद के रूप में पवित्र और सुरक्षित भोजन मिल सके।
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