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वैक्सीन पर कितना इफेक्टिव है Booster Dose ?

Sameer Saini • LAST UPDATED : December 15, 2021, 2:21 pm IST
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वैक्सीन पर कितना इफेक्टिव है Booster Dose ?

Booster Dose

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

Booster Dose : ओमिक्रॉन के खतरे के बीच बूस्टर डोज को लेकर काफी चर्चा हो रही है। ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने 581 ओमिक्रॉन केस के आंकड़ों के विश्लेषण से ये नतीजा निकाला है कि कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण के खिलाफ 70-75 प्रतिशत तक सुरक्षा दे सकता है। लेकिन इससे पहले ही दुनिया के 60 देशों में बूस्टर डोज लगने की शुरूआत भी हो चुकी है लेकिन इसे लेकर भारत अभी वेट एंड वाज वाले मोड़ पर है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन पर वैक्सीन बेअसर हो सकती है। इसके बाद एक ओर जहां वैक्सीन कंपनियां वैक्सीन में बदलाव कर रही हैं। दूसरी ओर बूस्टर डोज देने की चचार्एं भी हो रही हैं। ब्रिटेन ने बढ़ते केस के बीच दिसंबर तक 18 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को बूस्टर डोज देने का फैसला लिया है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस पर कहा (Booster Dose)

आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन कम कारगर है। इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने वैक्सीन का सेकेंड डोज ले चुके लोगों में 28 दिन के बाद एंटीबॉडी लेवल चेक किया। स्टडी में शामिल कई लोगों में तो एंटीबॉडी लेवल इतना कम हो गया जो वायरस को रोकने में बिल्कुल कारगर नहीं है।

इसके बाद खतरा जताया जा रहा है कि इससे फुली वैक्सीनेटेड लोगों में भी ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाएगा जिससे केस बढ़ सकते हैं। हालांकि, अभी ये पता नहीं है कि इससे हॉस्पिटलाइजेशन और गंभीर लक्षणों में कितनी बढ़ोतरी होगी। स्टडी में शामिल रहे गेविन स्क्रीटन का कहना है कि स्टडी के नतीजे बताते हैं कि जो लोग बूस्टर डोज के लिए इलिजिबल हैं वो जल्द से जल्द डोज लें। (Booster Dose)

वैक्सीन के दो डोज डेल्टा के मुकाबले कम कारगर (Booster Dose)

ब्रिटेन रिपोर्ट के मुताबिक ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन के दो डोज डेल्टा के मुकाबले कम कारगर है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने अमेरिका में मिले 43 ओमिक्रॉन मरीजों को एनालाइज किया है। इनमें से 34 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। इसके बाद आशंका जताई जा रही है कि ओमिक्रॉन की वजह से वैक्सीन की इफेक्टिवनेस कम हुई है।

यूके रिसर्च के अनुसार बूस्टर डोज लेने के बाद मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन 70 से 75 फीसदी इम्यूनिटी प्रोवाइड करती है। हालांकि, ओमिक्रॉन की वजह से गंभीर लक्षण कितने बढ़ रहे हैं इसे लेकर अभी और स्टडी की जानी है लेकिन बाकी वेरिएंट के मुकाबले ये ज्यादा होने की आशंका है।

40 लोगों पर हुई स्टडी (Booster Dose)

इजराइल के शेबा मेडिकल सेंटर और सेंट्रल वायरोलॉजी लैबोरेटरी ने बूस्टर डोज की इफेक्टिवनेस को लेकर 40 लोगों पर एक स्टडी की थी। इनमें 20 ऐसे लोग थे, जिन्हें पांच-छह महीने पहले दूसरी डोज लगवाई थी और बचे 20 को एक महीने पहले ही बूस्टर डोज लगी थी। स्टडी में सामने आया था कि जिन्हें 5-6 महीने पहले वैक्सीन लगी थी उन लोगों में ओमिक्रॉन के खिलाफ इम्यूनिटी कम थी। जिन लोगों को बूस्टर डोज दिया गया उनमें ओमिक्रॉन के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी ज्यादा मिलीं।

ओमिक्रॉन पर वैक्सीन इफेक्टिवनेस को लेकर फाइजर और मॉडर्ना ने भी स्टडी की थी। कंपनियों ने कहा था कि उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ भी इफेक्टिव है।

इजराइल में बूस्टर डोज की इफेक्टिवनेस को लेकर एक स्टडी की गई थी। इसमें 7.28 लाख लोगों पर की गई इस स्टडी में सामने आया था कि वैक्सीन का बूस्टर डोज कोरोना की वजह से हॉस्पिटलाइजेशन रोकने में 93 फीसदी कारगर है। साथ ही कोरोना के गंभीर लक्षणों को रोकने में भी 92फीसदी इफेक्टिव है। वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 माह बाद एंटीबॉडी लेवल में कमी आने लगती है।

इंफेक्शन को रोकने में 90 फीसदी कारगर (Booster Dose)

  • इंग्लैंड के मुताबिक दूसरा डोज लगवाने के 2 हफ्ते तक वैक्सीन इंफेक्शन को रोकने में 90फीसदी कारगर है, लेकिन पांच महीने बाद केवल 70 फीसदी ही कारगर रह जाती है। इसी स्टडी में मॉडर्ना वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी समय के साथ कम होती गई थी।
  • मॉडर्ना कंपनी के प्रेसीडेंट स्टीफन होग ने ओमिक्रॉन पर चिंता जताते हुए कहा है कि इसमें वो सभी म्यूटेशन हैं जो हम कभी नहीं देखना चाहेंगे। हालांकि, अभी तक का डेटा बताता है कि ओमिक्रॉन पर हमारी वैक्सीन कारगर तो है लेकिन शरीर में एंटीबॉडी कब तक रहेगी, इसे लेकर हम चिंतित हैं।
  • फाइजर के सीईओ का कहना है कि नए वेरिएंट की खबर सुनते ही हमने अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी को बढ़ाया। यहां तक कि हमनें प्रोडक्शन बढ़ाने की कॉस्ट का कैलकुलेशन भी नहीं किया।
  • फाइजर और मॉडर्ना दोनों ही अपनी वैक्सीन में डेल्टा और बीटा वेरिएंट के लिहाज से बदलाव कर रही थी। फिलहाल दोनों ही कंपनियां वैक्सीन को ओमिक्रॉन के लिए भी बदलने पर काम कर रही है।
  • ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए दुनियाभर के कई देश बूस्टर डोज दे रहे हैं। आईसीएमआर ने पार्लियामेंट्री कमेटी को कहा है कि दूसरे डोज के नौ महीने बाद बूस्टर डोज दिया जा सकता है।
  • दिसंबर में ही सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने अपनी वैक्सीन कोवीशील्ड को बूस्टर डोज के तौर पर देने की मंजूरी मांगी थी। माना जा रहा है कि सरकार पहले कमोर्बिडिटी वाले लोगों को बूस्टर डोज दे सकती है। उसके बाद बाकी लोगों पर फैसला लिया जाएगा।
  • दुनियाभर के 35 से भी ज्यादा देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। अलग-अलग देशों में कमोर्बिडिटी और अलग-अलग फैक्टर को ध्यान में रखते हुए लोगों को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जा रहा है।

Also Read : Omicron vs Vaccine देश में बढ़ रहे ओमिक्रॉन के मामलों ने सरकार की बढ़ाई चिंताएं

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