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India News (इंडिया न्यूज), Sagar Baghrai Ajgar Dada: मध्य प्रदेश में स्थित सागर के प्रसिद्ध इलाके बाघराज में हरसिद्धि माता का मंदिर है। मंदिर परिसर में एक गुफा है। गुफा में एक विशाल अजगर रहता है। अजगर से डरने की बजाय लोग रोजाना उसकी पूजा करते हैं। गुफा के द्वार पर जल और फूल चढ़ाते हैं। स्थानीय लोग उन्हें ‘अजगर दादा’ कहते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि में जो भी उन्हें देखता है, उसकी किस्मत चमक जाती है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में अजगर दादा रक्षक के रूप में विराजमान हैं।
यही वजह है कि आज तक इस पूरे इलाके में सांप के काटने की कोई खबर नहीं आई है और न ही इस संबंध में किसी के साथ कोई अप्रिय घटना घटी है। लोग कई दशकों से इस चमत्कार को देखते आ रहे हैं। जब भी नवरात्रि आती है या मंदिर परिसर में कोई बड़ा धार्मिक अनुष्ठान होता है तो अजगर दादा काले सांप या छोटे अजगर के रूप में प्रकट होते हैं। लोग उन्हें छूकर भी देखते हैं। उन्हें नमन करते हैं। माता के मंदिर की यही सबसे बड़ी महिमा है।
गुफा में रहने वाले अजगर के बारे में बताया जाता है कि 10-15 साल पहले तक यह कभी-कभी दो-तीन फीट तक गुफा से बाहर निकलता था, जिसमें इसकी मोटाई डेढ़ फीट तक होती थी, जो एक घर के खंभे जितनी होती है। इसकी लंबाई 15-20 फीट आंकी गई है। अब यह काफी बूढ़ा हो गया है, इसलिए लोगों ने इसे कई सालों से गुफा से बाहर निकलते नहीं देखा है। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि यह आज भी साक्षात यहां मौजूद है। इसकी कृपा से ही आज तक इस क्षेत्र में सांप के कारण कभी कोई दुर्घटना नहीं हुई, जबकि यह क्षेत्र पहाड़ियों, जंगलों और खेतों से सटा हुआ है।
मंदिर के पुजारी पुष्पेंद्र महाराज बताते हैं कि उन्होंने अपना पूरा बचपन यहीं बिताया। तब से मां भगवती के मंदिर में बाघराज दादा के रूप में चमत्कार देखने को मिलते हैं। नवरात्रि में या जब भी मंदिर में कोई धार्मिक अनुष्ठान होता है तो अगर दादा किसी न किसी रूप में दर्शन देने आते हैं। मान्यता है कि अगर उनके दर्शन हो जाएं तो कार्यक्रम के लिए आशीर्वाद मिल जाता है। तीन अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो रही है। अगर दादा प्रतिपदा से नवमी के बीच किसी दिन दर्शन जरूर देंगे। अब वह किसे और किस रूप में दर्शन देंगे, यह तो वही जाने।अगर के रूप में दादा
उन्होंने आगे कहा कि जब अजगर दादा प्रकट होते हैं तो उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। लोग उन्हें छूते हैं, प्रणाम करते हैं, फूल चढ़ाते हैं, लेकिन आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। यह सिर्फ मंदिर परिसर में ही नहीं है, बल्कि जहां तक इस मंदिर के प्रभाव की बात है, उस क्षेत्र में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। हमारे पूर्वज भी कहते रहे हैं कि बाघराज दादा के आशीर्वाद की वजह से यहां ऐसी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।
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