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महात्मा गांधी को रुलाने वाला वो शख्स कौन था? जो दे गया था जिंदगी का सबसे बड़ा सबक

Pankaj Namdev • LAST UPDATED : October 1, 2024, 5:35 pm IST
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महात्मा गांधी को रुलाने वाला वो शख्स कौन था? जो दे गया था जिंदगी का सबसे बड़ा सबक

Mahatma Gandhi: महात्मा गांधी

India News (इंडिया न्यूज़), Mahatma Gandhi: कल 2 अक्टूबर है और देश में शायद ही ऐसा कोई इंसान होगा जिसे 2 अक्टूबर के बारे में नही पता होगा। हर कोई इस दिन से अच्छी तरह वाकिफ है चाहे स्कूल जाने वाला बच्चा हो या पार्क जाने वाला बूढ़ा आदमी। सभी जानते हैं 2 अक्टूबर को हमारे प्रिय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। प्यार से लोग उन्हें बापू भी कहते हैं। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था। गांधी ने जी ने अपना पूरा जीवन सत्यवादी और अहिंसा के धर्म पर चलकर बिताया। गांधी जी हमेशा सच के रास्ते पर चले। आज हम आपको गांधी के साथ हुई उस घटना के बारे में बताएंगे जिसके बाद हमारे प्रिय बापू ने कसम खा ली कि जीवन में कभी झूठ नही बोलेंगे।

मौसम का अंदाजा लगाकर मैदान में पहुंचते थे महात्मा गांधी

दरअसल ये किस्सा तब का है जब गांधी जी स्कूल में पढ़ते थे। महात्मा गांधी जिस स्कूल में पढ़ते वहां खेल-कूद अनिवार्य था। अगर कोई छात्र खेल-कूद में वक्त मैदान में उपस्थित नही रहता था तो उसे जुर्माना देना पड़ता था। गांधी जी को खेल-कूद में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, फिर भी वे हमेशा खेल-कूद के वक्त मैदान में पहुंच जाते। गांधी के दौर में समय देखने के लिए घड़ियां कम ही होती थीं, लेकिन बापू मौसम का लगाकर अंदाजा लगाकर समय पर मैदान में पहुंच जाया करते थे।

मेरा पास घड़ी नही थी -महात्मा गांधी

एक दिन गांधीजी अपने पिता की सेवा में लगे हुए थे। उस दिन आसमान में बादल छाए हुए थे, इसलिए उन्हें समय का अंदाजा नहीं हो पा रहा था। जब वे स्कूल पहुंचे तो काफी देर हो चुकी थी। खेल-कूद का समय निकल गया था। गांधीजी ने देखा कि मैदान खाली है तो वे अपनी कक्षा में लौट आए। अगले दिन जब बात का अध्यापक को पता चला कि गांधीजी स्कूल में तो आए थे, लेकिन खेल-कूद के लिए मैदान में नहीं पहुंचे, तो उन्होंने उनसे इसका कारण पूछा। गांधीजी बोले, ‘मैं तो आया था, लेकिन उस वक्त वहां पर कोई छात्र मौजूद नहीं था।’ यह सुनकर अध्यापक बोले, ‘तुम देर से क्यों आए’ क्या तुम्हें समय का पता नहीं था’ गांधीजी बोले, ‘मेरे पास घड़ी नहीं थी और कल आसमान में बादल होने की वजह से सही समय का अंदाजा नहीं लग सका। इसलिए मुझे देर हो गई।’

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अध्यापक के झूठा कहने पर गांधी जी रोने लगे

लेकिन अध्यापक ने गांधीजी की बात को बिल्कुल नही माना और उन्हें लगा कि गांधीजी झूठ बोले रहे हैं। इसलिए उन्होंने उन पर दो आने का फाइन लगा दिया। गांधीजी को जुर्माने की बात सुनकर रोना आ गया कि अध्यापक ने उन्हें झूठा समझकर जुर्माना लगाया है। उन्होंने उसी समय ठान किया कि आगे से वे कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। साथ ही अपने अंदर बेहतरीन आत्मबल पैदा करेंगे। उन्होंने अपना यह प्रण अपने पूरे जीवन काल में निभाया और सत्य के साथ-साथ अहिंसा का भी प्रण वे अंत तक निभाते रहे।

देश के लिए उनका त्याग और समर्पण हमेशा याद रखा जाएगा

गांधी जी भारत की महान शख्सियत में शामिल है उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए काफी संघर्ष किया। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए कई आंदोलन किए जिससे देश के कई सोए हुए लोग जागे और अपने हक के लिए लड़ने को प्रेरित हुए। आज भले महात्मा गांधी हमारे बीच नही लेकिन देश के लिए उनका त्याग-समर्पण हमेशा याद रखा जाएगा। मैं सिर्फ इतना कहकर इस बात को खत्म करना चाहूंगा कि ‘ना गांधी जैसा कोई था ना गांधी जैसा कोई आ सकता है’।

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