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India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Udaipur Leopard Attack: राजस्थान के उदयपुर में बीते कुछ दिनों से ‘आदमखोर’ तेंदुए का आतंक छाया हुआ है। हर दूसरे दिन आदमखोर तेंदुए लोगों का शिकार कर रहे है। ऐसे में यहां के लोगों में भय का माहौल है। इतना ही नहीं यहां के लोगों ने अपने बच्चों के बाहर खेलने और घूमने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी है। इस डर से यहां के लोग भी घर से बाहर निकलने से डरते है। हर दूसरे दिन तेंहुआ किसी ना किसी को अपनी शिकार बना रहा था ये सभी देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया थी। फैसले में कहा गया था कि ‘आदमखोर’ तेंदुए को देखते ही गोली मार दी जाए। इस आदेश के बाद अब इस फैसले पर ही सवाल खड़े हो रहे है। आखिर कैसे पहचाना जाएगा कौन सा तेंदुआ आदमखोर है और कौन सा नहीं?
राजस्थान के यू.के. में आदमखोर को देखते ही गोली मारने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच के सामने आखिरी सफाई देते हुए कलाकार ने कहा कि आदमखोर की पहचान कैसे होगी? यह आदेश बाघों के लिए भी खतरनाक हो सकता है। लोग जंगल में बंदूकें लेकर घूम रहे हैं, जबकि कानून के मुताबिक ट्रैंक्विलाइजर गन रखी जानी चाहिए। भीड़ ने कहा कि कोर्ट अपने आदेश के जरिए यह सुनिश्चित करे कि दोनों की जान न जाए।
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राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने राज्य और वन विभाग की ओर से कोर्ट को बताया, ‘यह आदेश राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की तस्वीरों के मुताबिक था। पैंथर ने अब तक 7 लोगों को मार डाला है। वे पहले इंसानों के हाथ काटते हैं और फिर लीडर पर हमला कर उसे मार देते हैं। इससे आम लोगों को खतरा है। ‘इसलिए देखते ही गोली मारने का फैसला जरूरी था।’
एजी ने कोर्ट को बताया, ‘उदयपुर के जिस गांव में पैंथर घूम रहा है, उसकी पहचान कर ली गई है। जैसा कि डिवीजन ऑर्डर में भी लिखा है, मैं राज्य की ओर से कोर्ट को यह संदेश देता हूं कि सबसे पहले ज्वालामुखी को खोदकर निकालने का प्रयास किया जाएगा। इसे अंतिम विकल्प के तौर पर ही गोली मारी जाएगी।’
एजी के इस बयान को सुनने और पूरी स्थिति पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने अजय देवगन को राजस्थान हाईकोर्ट जाने की अनुमति दे दी।
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