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India News (इंडिया न्यूज), Garuda Purana Significance: इस दुनिया में सभी जीव को एक न एक दिन मरना ही है। लेकिन हर किसी का जीवन अलग-अलग तरीके से खत्म होता है। मरते समय कुछ लोगों की आंखें उल्टी हो जाती हैं, तो कुछ लोगों का मुंह खुला रहता है। कुछ लोग मरते समय मल-मूत्र त्याग करते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसके बारे में गरुड़ पुराण में बहुत कुछ बताया गया है। यहां जानिए उन सवालों के जवाब। गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के समय आत्मा शरीर के नौ द्वारों में से किसी एक द्वार से शरीर को छोड़ती है। ये नौ द्वार दोनों आंखें, दोनों कान, दोनों नासिका, मुंह या मलमूत्र हैं। जिस व्यक्ति की आत्मा मलमूत्र के माध्यम से निकलती है, वह मृत्यु के समय मल और मूत्र त्याग करता है। हालांकि, गरुड़ पुराण में इस तरह से आत्मा का शरीर छोड़ना अच्छा नहीं माना गया है।
ऐसे व्यक्ति की आत्मा मल-मूत्र के माध्यम से शरीर को छोड़ देती है। जो व्यक्ति जीवनभर सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में ही सोचता है, लोगों का भला नहीं करता, सिर्फ धन कमाने में लगा रहता है और काम-वासना में लिप्त रहता है, उसकी आत्मा मल-मूत्र के माध्यम से शरीर को छोड़ देती है। और जब मृत्यु के वक्त यमराज के दूतों को देखते हैं तो सहम जाते हैं और उनकी आत्मा नीचे की तरफ जाने लगती है। इसके बाद प्राण वायु नीचे से शरीर को छोड़ देती है। अंगूठे के आकार का एक अदृश्य प्राणी प्राण वायु के साथ बाहर निकलता है। यमराज के दूत उसके गले में फंदा बांधते हैं और उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। इस तरह की मृत्यु पापी व्यक्ति की मानी जाती है।
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु गरुड़ से कहते हैं कि जो लोग मोह से ग्रसित होते हैं और जीने की प्रबल इच्छा रखते हैं और जो अपने परिवार के सदस्यों से बहुत अधिक आसक्त होते हैं, ऐसे लोग हृदय से तपस्वी नहीं बन पाते हैं। ऐसे लोगों की जब मृत्यु निकट होती है तो आंखें काम करना बंद कर देती हैं, कान सुनना बंद कर देते हैं। कफ बढ़ने लगता है और व्यक्ति चाहकर भी किसी से बात नहीं कर पाता है। ऐसे लोग परिवार के मोह के कारण अपने प्राण त्यागना नहीं चाहते हैं। तब यमराज के दूत उनके प्राण बलपूर्वक ले लेते हैं और ऐसी स्थिति में जब उनके प्राण बलपूर्वक आंखों से निकल जाते हैं तो आंखें उलटी हो जाती हैं।
शास्त्रों के अनुसार मुंह से प्राणों का निकलना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग जीवन भर धर्म के मार्ग पर चलते हैं उनके प्राण मुंह से निकल जाते हैं और उन्हें यमलोक में अधिक कष्ट नहीं उठाने पड़ते हैं। ऐसे लोगों के प्राण जब मुंह से निकलते हैं तो उनका मुंह टेढ़ा हो जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि नाक से आत्मा का निकलना भी बहुत शुभ होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, केवल वही लोग इस तरह मरते हैं जिन्होंने परिवार में रहते हुए अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया हो और अपने मन को भी तपस्वी बना लिया हो।
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