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नवरात्रि के आखिरी दिन गलती से भी न करें ये काम…साल भर भुगतना पड़ेगा इसका अंजाम, सबसे ज्यादा यही भूल करते हैं लोग?

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 10, 2024, 4:29 pm IST
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नवरात्रि के आखिरी दिन गलती से भी न करें ये काम…साल भर भुगतना पड़ेगा इसका अंजाम, सबसे ज्यादा यही भूल करते हैं लोग?

Ghat Sthapna Ka Nariyal Use: नवरात्रि में नारियल का महत्व केवल पूजा तक सीमित नहीं है; यह भक्तों के लिए देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है। पूजा के बाद नारियल का उचित उपयोग, जैसे कि कन्या पूजन और गंगा में प्रवाहित करना, भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

India News (इंडिया न्यूज़), Ghat Sthapna Ka Nariyal Use: नवरात्रि, हिंदू धर्म में शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा का एक विशेष पर्व है। इस दौरान मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है, जिसमें घट स्थापना, व्रत, मंत्र जाप, और विशेष पूजा अर्चना का महत्व है। नारियल को नवरात्रि में एक पवित्र और महत्वपूर्ण सामग्री माना जाता है। आइए, नवरात्रि में नारियल के महत्व, उसकी पूजा, और उसके बाद के उपयोग के बारे में जानते हैं।

नारियल की पूजा का महत्व

  1. घट स्थापना में नारियल: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए घट स्थापना में नारियल को कलश के ऊपर रखना आवश्यक होता है। अगर नारियल स्थापित नहीं किया गया, तो पूजा अधूरी मानी जाती है। नारियल को देवी का प्रतीक माना जाता है, और इसे देवी की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है।
  2. नवमी और अष्टमी की पूजा: नवरात्रि के अष्टमी या नवमी दिन नारियल का प्रसाद नौ कन्याओं को देना और फिर परिवार के साथ उसे ग्रहण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस प्रक्रिया से देवी की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं।

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नारियल का धार्मिक महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नारियल में तीन देवताओं—ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का वास होता है। इसलिए, नवरात्रि के दौरान नारियल की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा, नारियल के छिलके को घर के दरवाजे पर लगाने से नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता, जिससे घर की सुरक्षा बनी रहती है।

नारियल का उपयोग पूजा के बाद

  1. नारियल का प्रसाद: पूजा के बाद, नारियल को प्रसाद के रूप में नौ कन्याओं को देना और परिवार के सभी सदस्यों के साथ उसका वितरण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह देवी की कृपा का प्रतीक होता है।
  2. गंगा में प्रवाहित करना: कुछ भक्त नवरात्रि की पूजा समाप्त होने के बाद नारियल को अपने पूजा स्थल पर रखकर उसकी नियमित पूजा करते हैं। अगले नवरात्रि से पहले आने वाली अमावस्या के दिन उस नारियल को गंगा में प्रवाहित करना श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा करने से देवी मां का आशीर्वाद भक्तों पर सदैव बना रहता है और घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं हो पाता है।

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निष्कर्ष

नवरात्रि में नारियल का महत्व केवल पूजा तक सीमित नहीं है; यह भक्तों के लिए देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है। पूजा के बाद नारियल का उचित उपयोग, जैसे कि कन्या पूजन और गंगा में प्रवाहित करना, भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इस प्रकार, नवरात्रि में नारियल का सही उपयोग और उसकी पूजा से देवी दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है।

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