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India News (इंडिया न्यूज), Sthapit Murtiyan In Home Temple: हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्रों में वर्णित है कि विभिन्न देवताओं की मूर्तियों की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। जैसे भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने से संतान सुख मिलता है, वहीं हनुमान जी की संजीवनी बूटी पर्वत वाले रूप की पूजा करने से बल और साहस मिलता है। हालांकि, मूर्तियों का चयन करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, विशेषकर वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार।
हर हिन्दू घर में पूजा घर का विशेष स्थान होता है। यहां पर विभिन्न देवताओं की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। पूजा स्थल का स्वच्छता, प्रकाश और शांति से भरा होना अनिवार्य है। लेकिन कुछ मूर्तियों का पूजा स्थल में होना वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं कि कौन-सी मूर्तियों को घर के मंदिर में स्थापित नहीं करना चाहिए:
नटराज, भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाते हैं। वे क्रोधित अवस्था में तांडव करते हैं, जो अशांति का कारण बन सकता है। इसलिए, नटराज की मूर्ति को घर के पूजा घर में स्थापित करना शुभ नहीं माना जाता।
भैरव देव भी भगवान शिव के एक रूप हैं, लेकिन वे तंत्र विद्या के देवता माने जाते हैं। उनकी उपासना घर के बाहर करनी चाहिए। इसलिए भूल से भी इन्हें घर के मंदिर में स्थापित नहीं करना चाहिए।
शनि देव, सूर्य के पुत्र हैं, और उनकी पूजा के लिए विशेष नियम होते हैं। सूर्य अस्त होने के बाद ही इनकी पूजा की जाती है। शनि देव की मूर्ति को घर में स्थापित नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनकी पूजा विशेष स्थानों पर की जानी चाहिए।
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राहु और केतु, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पापी ग्रह माने जाते हैं। इनकी पूजा केवल ज्योतिष उपायों के लिए घर के बाहर करनी चाहिए। इन्हें घर में लाना अशुभ माना जाता है, इसलिए इनकी मूर्तियों को घर में स्थापित करने से बचना चाहिए।
पूजा स्थल का निर्माण और वहां रखी जाने वाली मूर्तियों का चयन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। शास्त्रों के अनुसार, सही मूर्तियों का चयन और उचित पूजा विधि न केवल व्यक्तिगत जीवन में शांति और समृद्धि लाती है, बल्कि घर के वातावरण को भी सकारात्मक बनाती है। इसलिए, इन नियमों का पालन करना आवश्यक है, ताकि आपके पूजा स्थल से जुड़ी सभी आशाएं पूर्ण हो सकें।
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