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India News (इंडिया न्यूज), Illegal Immigrants In Jharkhand : झारखंड में चुनाव होने में अब कुछ ही समय बचा है। विधानसभा चुनाव के चलते झारखंड में राजनीतिक उथल-पुथल अपने चरम पर है। अब इसी कड़ी में आदिवासी इलाकों में जनसांख्यिकी बदलने का मुद्दा तूल पकड़ता दिख रहा है। इस मुद्दे पर राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामों पर कोर्ट में ही सवाल उठ खड़े हुए हैं। रविवार को इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद यह मुद्दा और भी गरमा गया है। अपने बयान में अमित शाह ने सीधे तौर पर झामुमो नीत भारत ब्लॉक सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हेमंत सोरेन सरकार घुसपैठियों को बढ़ावा दे रही है। अगर हमारी सरकार आई तो हम घुसपैठियों को नहीं छोड़ेंगे।
झारखंड के आदिवासी इलाकों में अवैध घुसपैठियों को समर्थन देने के लिए झामुमो सरकार पहले भी आलोचकों के निशाने पर रही है। दावा किया जाता रहा है कि मौजूदा प्रशासन जाने-अनजाने में अनधिकृत लोगों को यहां रहने देने में लगा हुआ है। इससे न सिर्फ कानून-व्यवस्था खतरे में पड़ रही है, बल्कि यहां की संस्कृति पर भी असर पड़ रहा है और खास तौर पर स्थानीय मतदाताओं का समीकरण भी बदल रहा है। राज्य में लगातार हो रही अवैध घुसपैठ के पीछे वोट बैंक की राजनीति को भी वजह बताया जा रहा है।
वहीं, राज्य सरकार ऐसी किसी बात को मानने को तैयार नहीं है। इसके उलट, हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साहिबगंज के जिला मजिस्ट्रेट ने माना है कि 2017 से अब तक 4 बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़े गए और ‘इस इलाके में जनसांख्यिकी बदलाव से कोई इनकार नहीं कर सकता।’ अधिकारी का यह बयान सोरेन सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है।
अवैध घुसपैठ का मुद्दा राजनीतिक दलों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी उठाया है। इसके अलावा मौजूदा सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाए गए हैं। सरकार के रवैये के कारण ही सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को बढ़ावा मिला है। साथ ही, यह भी दावा किया जा रहा है कि प्रशासन के ढीले रवैये के कारण अवैध घुसपैठियों के हाथ जरूरी दस्तावेज लग जा रहे हैं, जिससे उन्हें बेनकाब करना मुश्किल हो रहा है। इससे देश की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है।
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