कार्ड में क्या खास था?
शादी का कार्ड ऊपर से लेकर नीचे तक हिंदू धर्म से जुड़ी प्रतीकों और देवताओं के चित्रों से सजा हुआ था। सबसे प्रमुख थे भगवान गणेश और श्री कृष्ण की तस्वीरें, जो पारंपरिक हिंदू विवाहों में शुभकामनाओं के प्रतीक माने जाते हैं। इस कार्ड को देखकर कोई भी यह नहीं कह सकता था कि यह एक मुस्लिम परिवार के द्वारा भेजा गया शादी का कार्ड है।
शादी के कार्ड पर दूल्हा और दुल्हन के नाम उर्दू में लिखे गए थे, लेकिन कार्ड की डिजाइन और उपरोक्त चित्रों को देखकर यह स्पष्ट था कि यह हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से तैयार किया गया है। इसके साथ ही शादी की तारीख 8 नवंबर और स्थान के तौर पर रायबरेली जिले के एक गांव का नाम भी लिखा गया है।
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इस कदम के पीछे की सोच
दुल्हन के पिता शब्बीर उर्फ टाइगर ने इस कार्ड की खासियत और इसके पीछे की सोच को समझाते हुए बताया कि उन्होंने अपने हिंदू भाइयों को विवाह में आमंत्रित करने के लिए यह कार्ड बनवाया। उन्होंने कहा, “हमारे गांव में बहुत सारे हिंदू भाई हैं, और हम चाहते थे कि उन्हें हमारी बेटी की शादी का निमंत्रण एक ऐसे तरीके से दिया जाए जो उन्हें समझ में आए। हिंदू रीति के अनुसार शादी का कार्ड छपवाने से उन्हें सम्मान और श्रद्धा का एहसास होगा।”
इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार और रिश्तेदारों के लिए उर्दू में एक अलग कार्ड छपवाया गया है, क्योंकि यह उनके समुदाय की परंपरा है। लेकिन यह कार्ड हिंदू समुदाय के लिए खास तौर पर तैयार किया गया था ताकि वे भी इसे आसानी से समझ सकें।
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हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश
शब्बीर ने यह भी कहा कि इस कार्ड के माध्यम से वे हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को और मजबूत बनाना चाहते हैं। यह कदम समाज में आपसी समझ और प्रेम को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा सकता है। शादी के कार्ड का यह अनोखा रूप अब न केवल वायरल हो चुका है, बल्कि यह एक सुंदर संदेश भी दे रहा है कि धर्म और रीति-रिवाजों से परे, आपसी सद्भाव और एकता की भावना समाज को एकजुट कर सकती है।
शादी के समारोह में हिंदू समुदाय के लिए एक दिन पहले प्रीति भोज का आयोजन भी किया गया है, जो इस बात का प्रतीक है कि दोनों धर्मों के लोग एक साथ मिलकर खुशी में भाग ले रहे हैं।
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समाज में सकारात्मक प्रभाव
इस शादी कार्ड ने एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश दिया है। यह दिखाता है कि हिंदू-मुस्लिम एकता सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हमें अपने व्यवहार और कार्यों से इसे साबित करना चाहिए। इस कार्ड ने यह संदेश फैलाया है कि एकता, प्यार और भाईचारे से किसी भी समुदाय की धार्मिक या सांस्कृतिक सीमाओं को पार किया जा सकता है।
इस तरह के कदम समाज को यह सिखाते हैं कि हमारे बीच के धार्मिक अंतर को समझना और सम्मानित करना हमें एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा सकता है।
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अमेठी के इस मुस्लिम परिवार ने शादी के कार्ड के जरिए जो पहल की है, वह न केवल एक व्यक्तिगत परिवार का निर्णय है, बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक संदेश भी है। यह एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हुए और मिल-जुलकर एक दूसरे के रीति रिवाजों को समझते हुए समाज में प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं।