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India News (इंडिया न्यूज), Indian Delegation In Afghanistan: वर्ष 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान फिर से सत्ता में आ गया। तब से भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में कुछ ठंडक थी। अब रिश्तों को नए सिरे से शुरू करते हुए बुधवार 6 नवंबर, 2024 को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल काबुल भेजा और उसने 1996 में तालिबान सरकार में पूर्व सर्वोच्च नेता मुल्ला उमर के बेटे मोहम्मद याकूब मुजाहिद से बातचीत की। हम आपको बतातें चलें कि, याकूब अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री भी हैं। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने किया।
तालिबान से बातचीत के दौरान भारत से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई। अफगान यात्रा के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मुलाकात की। बता दें कि, जेपी सिंह के पास विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान से जुड़े मामलों को देखने की विशेष जिम्मेदारी है। यही वजह है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने सबसे काबिल अफसरों में से एक जेपी सिंह को इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए चुना। तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल का यह दूसरा अफगानिस्तान दौरा है। इससे साफ पता चलता है कि मोदी सरकार अफगानिस्तान में तालिबान शासन के सत्ता में आने के बाद उसके साथ अपने संबंधों को लेकर सतर्कता से आगे बढ़ रही है।
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तालिबान रक्षा मंत्रालय ने कहा, “इस बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की अपनी साझा इच्छा पर जोर दिया। मानवीय सहयोग और अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अफगानिस्तान और भारत दोनों ने आगे की बातचीत को मजबूत करने में अपनी रुचि दिखाई।” आपको बता दें कि भारत ने तालिबान प्रशासन को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। भारत मध्य एशिया में अपनी पहुंच मजबूत करने के लिए अफगानिस्तान को एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में देखता रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह बैठक इस बात का संकेत है कि भारत न केवल अफगानिस्तान में अपनी मानवीय सहायता बढ़ाने के लिए तैयार है, बल्कि काबुल में शासन को आधिकारिक रूप से मान्यता दिए बिना भी प्रयासों में सहायता करने के लिए तैयार है।
भारत पहले भी कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। तालिबान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगा। याकूब ने भारत के साथ मजबूत संबंधों के इतिहास का जिक्र किया। तालिबान भारत पर नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में तालिबान विदेश मंत्रालय के एक राजनयिक की नियुक्ति की अनुमति देने का दबाव बना रहा है।
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