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India News (इंडिया न्यूज),China:ऐसा करने के लिए जीपीएस में इस्तेमाल होने वाली परमाणु घड़ी से बेहतर समय सटीकता की जरूरत होगी, जिसे अब तक असंभव माना जाता रहा है। लेकिन कहा जाता है कि सटीक सिंक्रोनाइजेशन के जरिए यह सफलता हासिल की जा सकती है। माइक्रोवेव बीम हथियार कैसे काम करेगा, इसकी जानकारी को गुप्त रखते हुए चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल हथियारों में भी किया जा सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हथियार को माइक्रोवेव बीम फायर करने के लिए 7 वाहनों (माइक्रोवेव बनाने वाले घटक) की जरूरत होती है, जो बड़े क्षेत्र में फैले होने के बावजूद सभी एक ही लक्ष्य पर निशाना साध सकते हैं।
चीन के मॉडर्न नेविगेशन जर्नल में कहा गया है कि सटीक निशाना न लगा पाने की वजह से मौजूदा समय में मौजूद हथियारों की ‘लड़ाकू’ क्षमता उतनी कारगर नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सिंक्रोनाइजेशन में त्रुटि 170 पिको-सेकंड से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, ज्यादा सटीकता हासिल करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि माइक्रोवेव-ट्रांसमिटिंग वाहनों को जोड़ा जा सके।रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी किरण बनाई है जो कई किरणों के समूह से भी ज्यादा शक्तिशाली है, यही वजह है कि चीनी वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि वे इस तकनीक का इस्तेमाल कर सैटेलाइट सिग्नल को रोक सकते हैं।
चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने इस हथियार के सटीक निशाना लगाने की बाधा को पार कर लिया है, जल्द ही इसका ट्रायल पूरा होने की संभावना है। लेकिन ड्रैगन का यह हथियार उसके दुश्मन देश अमेरिका की टेंशन बढ़ा सकता है। चीन और अमेरिका एक दूसरे के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं, चाहे व्यापार हो या हथियार, दोनों हर क्षेत्र में एक दूसरे से मुकाबला करने की कोशिश करते रहे हैं। तकनीक के क्षेत्र में दबदबा बढ़ाने की लड़ाई इसी संघर्ष का हिस्सा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चीनी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस हथियार पर अमेरिका क्या प्रतिक्रिया देता है।
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