In Adolescence Parents Should Take Care Of Children Like This
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
Take Care Of Children Like This: किशोरावस्था की शुरूआत अपने साथ बहुत से शारीरिक बदलावों के साथ-साथ हार्मोनल बदलाव भी लाती है जो मिजाज में उतार-चढ़ाव और बिल्कुल अनचाहे बर्ताव के रूप में सामने आता है। इस दौरान बच्चे और माता-पिता के बीच का रिश्ता भी बड़े नाजुक दौर से गुजर रहा होता है।
इस समय जहां बच्चे का साक्षात्कार नए अनुभवों से हो रहा होता है। वहीं भावनात्मक उथलपुथल भी हावी रहती है। बच्चे इस उम्र में खुद को साबित करने और अपना व्यक्तित्व निखारने की जद्दोजहद में लगे होते है। ऐसे में बच्चे के साथ बेहतर तालमेल बैठाने के लिए माता-पिता को कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए।
बच्चों से बातचीत करते समय माता-पिता इन बातों का रखें ध्यान (Take Care Of Children Like This )
किशोरों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, नाराजगी और बदतमीजी से बात करने की आदत आम है। लेकिन इससे घबराएं नहीं। जिन बा* तों को लेकर आप उनसे नाराज हों, शांति से पहले उनके समूचे पक्ष को सुनें और फिर बताएं कि आप उनसे क्यों नाराज हैं। अगर उन्हें गुस्से में कुछ करने से मना करेंगे, तो वे आपकी बात कतई नहीं मानेंगे।
अगर आप यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन पर अपनी नाराजगी कैसे जाहिर करें, तो सबसे पहले बातचीत ऐसे विषय से शुरू करें, जिसमें उनकी रुचि हो। जैसे, किसी खेल या फिल्म सरीखे हल्के-फुल्के विषय से बात शुरू करें।
फिर धीरे-धीरे जब माहौल थोड़ा सहज होने लगे, तब अपनी बात रखें। यदि आपको उनका बर्ताव या कोई आदत खराब लगती है, तो उन्हें बताएं कि अमुक दिन उन्होंने ऐसा किया, जो बिल्कुल अनुचित था। मुझे बहुत बुरा और अजीब लगा। तुम इस तरह के बच्चे नहीं। (Take Care Of Children Like This )
तंज कसने या मजाक उड़ाने के रवैये में अपनी बात नहीं रखें। किशोरावस्था ऐसी उम्र होती है, जहां आप उन्हें बच्चे की तरह ही देखते हैं, लेकिन वे खुद को वयस्क ही मानते हैं। ऐसे में आप मजाक उड़ाने के अंदाज में उनसे बात करेंगे, तो उनकी झल्लाहट और बढ़ेगी।
पैरेंटिंग विज्ञान नहीं, कला है। इसके कोई निश्चित नियम नहीं है। बल्कि हालात को देखते हुए आपको कभी कड़ाई से, तो कभी प्यार से उन्हें समझाना होगा। अपनी नाराजगी जरूर जताएं, साथ ही यह भी एहसास दिलाते रहें कि आप उन्हें भली-भांति समझते हैं। (Take Care Of Children Like This)
कभी ऐसा भी हो सकता है कि वे रात देर से घर लौटें और आप गुस्से में तमतमा रहे हों। यहां आपको थोड़ा सब्र रखने की जरूरत है। जब आप गुस्से में हों, उस समय उनसे बात न करें। अगले दिन, शांति से उन्हें बताएं कि उनकी किन आदतों से आप खफा हैं।
किशोरों में साइबर क्राइम, वॉइलेंट बिहेवियर और ड्रग अब्यूज जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसीलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप उन्हें समझें। उन पर चीखने-चिल्लाने से बचें। यदि आप उनसे आक्रामक शैली में बात करेंगे, तो वे और हिंसक हो सकते हैं। संतुलन बरतें। जैसे, उन्हें जताते रहें कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं। (Take Care Of Children Like This)
दूसरी ओर, यह भी बताएं कि उनकी कुछ गलत आदतों या हरकतों को आप बर्दाश्त नहीं करेंगे। याद रखें कि आप उनके लिए रोल मॉडल हैं। वे आपको देखकर बहुत कुछ सीखते हैं और वही करने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि उन्हें समझाते हुए अपने शब्दों और शैली का ध्यान रखें।