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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Panama Papers Leak Case Kya Hai: करीब पांच साल पहले दुनियाभर में तहलका मचाने वाले पनामा पेपर्स लीक (PanamaPapers tax leaks case) ने एक बार फिर माहौल गर्मा दिया है। पनामा पेपर्स मामले से जुड़ी जांच को लेकर बच्चन परिवार की बहू ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) बच्चन बीते सोमवार (20 दिसंबर) को दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के दफ्तर में पहुंची थीं।
ईडी ने मामले में चल रही जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए उन्हें समन भेजा था। लगभग 7 घंटे तक ऐश्वर्या राय (Bollywood actor) से सवाल जवाब करने के बाद ईडी की पूछताछ खत्म हो गई है। ईडी ने पनामा पेपर लीक केस (Panama Papers Leak) से जुड़े सवालों के जवाब दर्ज कर लिए हैं। ऐसे में ये बात समझना भी जरूरी है कि पनामा पेपर्स लीक का मामला क्या है और ऐश्वर्या राय पर क्या आरोप लगे हैं?
Aishwarya Rai Bachchan: आपको बता दें कि साल 2016 में पनामा (Panama scandal) पेपर लीक हुए थे। इस मामले में नाम सामने आने के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद छोड़ना पड़ा था। पनामा पेपर्स में करीब 500 भारतीयों के नाम भी शामिल हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मामले में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) समेत कई दूसरे बड़े नाम भी ईडी के निशाने पर आ सकते हैं।
आपको बता दें कि उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के मध्य में स्थित एक देश है पनामा। इसी देश की एक कंपनी मोसेक फोंसेका जिसकी स्थापना 1977 में हुई थी। इससे दुनियाभर में 2 लाख कंपनियां जुड़ी हुई हैं जो इसके लिए एजेंट की तरह काम करती हैं। मोसेक फोंसेका के ही करोड़ों दस्तावेज लीक हुए थे, जिन्हें पनामा पेपर्स लीक कहा जाता है।
इन पेपर्स में संबंधित व्यक्तियों से जुड़ी वित्तीय जानकारियां और अवैध लेनदेन का रिकॉर्ड है। इन लोगों ने टैक्स चोरी और बाकी वित्तीय लेनदेन से जुड़ी पाबंदियों से बचने के लिए आॅफशोर कंपनियों में गैरकानूनी निवेश किया। ये कंपनियां ऐसे देशों में खोली गईं, जिन्हें टैक्स हैवन्स कहा जाता है। यानी, कंपनियों के मालिकाना हक और लेनदेन पर टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं।
मोस्सैक फोंसेका पनामा की एक लॉ कंपनी थी। आसान भाषा में समझें तो अगर आपके पास बहुत सारा पैसा है, तो ये कंपनी उसे सुरक्षित रूप से ठिकाना लगाने में आपकी मदद करती है। ये आपके नाम से फर्जी आफशोर कंपनी खोलती है। आफशोर कंपनियां वो होती हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन किसी दूसरे देश में किया जाता है और ये कारोबार किसी दूसरे देश में करती हैं।
इस तरह की ज्यादातर कंपनियां गुमनाम होती हैं। इनका मालिक कौन है, किसके पैसे लगे है, जैसी सभी बातें गुप्त रखी जाती है। यानी, आप मोस्सैक फोंसेका को फीस दीजिए और वो आपके नाम से सीक्रेट और आसान टैक्स सिस्टम वाले देशों में फर्जी कंपनियां बना देगी।
बिजनेस के लिए आफशोर कंपनियां बनाना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन अक्सर ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स की चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि जिन लोगों का नाम इस लिस्ट में हैं, उनका उद्देश्य भी यही हो सकता है।
अमिताभ बच्चन को टैक्स हेवन देशों में 1993 में बनीं चार शेल कंपनियों का डायरेक्टर बनाया गया था। इन कंपनियों की आथोराइज्ड कैपिटल 5 से 50 हजार डॉलर के बीच थी, लेकिन ये कंपनिया उन शिप्स का कारोबार कर रही थीं, जिनकी कीमत करोड़ों में थी।
ऐश्वर्या को अमिक पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया था। बाद में उन्हें कंपनी का शेयर होल्डर बना दिया गया। इसका हेडक्वार्टर टैक्स हेवन देश वर्जिन आइलैंड्स में था। ऐश्वर्या (Aishwarya Bachchan) के अलावा उनके पिता-माता और भाई आदित्य राय भी कंपनी में उनके पार्टनर थे। 2005 में बनी ये कंपनी 3 साल बाद 2008 में बंद हो गई। आरोप है कि टैक्स बचाने के लिए यह शेल कंपनी बनाई गई थी।
पनामा पेपर्स में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का भी नाम था। नवाज शरीफ के बेटों हुसैन और हसन और बेटी मरियम नवाज ने वर्जिन आइलैंड में चार कंपनियां शुरू की थीं। इन कंपनियों से लंदन में छह बड़ी प्रॉपर्टीज खरीदीं गईं। शरीफ फैमिली ने इन प्रॉपर्टीज को गिरवी रख डॉएचे बैंक से करीब 70 करोड़ रुपए का लोन लिया था।
पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद मामले की जांच के लिए एक जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (जेआईटी) का गठन किया गया था। जेआईटी ने जांच के बाद 10 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की थी। 28 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने शरीफ के खिलाफ मामला दर्ज करने और शरीफ को पीएम पद के लिए अयोग्य ठहराने का भी आदेश दिया था। 6 जुलाई 2018 को शरीफ को 10 साल की सजा भी हुई।
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