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India News (इंडिया न्यूज), Air India Flight Urination Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (26 नवंबर) को केंद्र और विमानन नियामक डीजीसीए को हवाई यात्रियों के अनियंत्रित व्यवहार से निपटने के लिए दिशा-निर्देश विकसित करने का निर्देश दिया। साथ ही ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कुछ रचनात्मक कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ 73 वर्षीय एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसने आरोप लगाया है कि नवंबर 2022 में एयर इंडिया की उड़ान के दौरान एक पुरुष सह-यात्री ने नशे की हालत में उस पर पेशाब किया। वहीं याचिकाकर्ता ने केंद्र, डीजीसीए और एयरलाइंस को ऐसी स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) स्थापित करने के निर्देश देने की मांग की।
बता दें कि, पीठ ने सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा और अद्यतन करने में संबंधित अधिकारियों का मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि हाल ही में हमारे साथ एक घटना घटी। दो यात्री पूरी तरह से नशे में थे। एक वॉशरूम में जाकर सो गया। दूसरा यात्री जो बाहर था, उसने एक बैग में उल्टी कर दी। चालक दल में सभी महिलाएँ थीं और लगभग 30 से 35 मिनट तक कोई भी दरवाज़ा नहीं खोल सका। इसके बाद चालक दल ने मेरे सह-यात्री से दरवाज़ा खोलने और उसे सीट पर ले जाने का अनुरोध किया। यह 2.40 घंटे लंबी उड़ान थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में एक महिला द्वारा दायर याचिका के जवाब में केंद्र सरकार, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और एयर इंडिया सहित सभी एयरलाइनों को नोटिस जारी किया था। कार्यवाही के दौरान, महिला के वकील ने इस बात पर प्रकाश डाला कि DGCA ने अपने जवाब में दावा किया था कि सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं। लेकिन याचिकाकर्ता ने सुधार के लिए अतिरिक्त सुझाव दिए हैं। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल भाटी ने अदालत को सूचित किया कि एक हलफनामा प्रस्तुत किया गया था और अनियंत्रित यात्रियों के मुद्दे को संबोधित करने के लिए दिशानिर्देश और परिपत्र जारी किए गए थे।
दरअसल, एक महिला ने मार्च 2023 में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि एयर इंडिया और DGCA ने उसकी परेशानियों को उचित देखभाल और जिम्मेदारी के साथ संभालने में विफलता के कारण उसे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसने 2014 और 2023 के बीच उड़ानों में यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार की सात घटनाओं का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि संबंधित एयरलाइनों ने इन घटनाओं को उचित तरीके से संबोधित नहीं किया। जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि केंद्र और डीजीसीए यह सुनिश्चित करें कि नागरिक उड्डयन की आवश्यकताएं उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों।
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