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India News (इंडिया न्यूज़), Arjun in Indralok: महाभारत के युद्ध में एक अपसरा ने अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दिया था जिसका जिक्र इस लेख में किया गया है। अर्जुन अपना राज्य वापस पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या करने उत्तराखंड के घने जंगलों में चले गए। वरुण, यम, कुबेर, गंधर्व और इंद्र अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर अर्जुन के सामने आए। अर्जुन ने सभी देवताओं को प्रणाम कर उनका आदर किया और विधि-विधान से उन सभी की पूजा की। सभी देवता प्रसन्न हुए और उन्होंने अर्जुन को अनेक अलौकिक शक्तियां और अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए। देवराज इंद्र ने अर्जुन को इंद्रलोक आने का प्रस्ताव दिया।
कुछ समय पश्चात इंद्र का सारथी अर्जुन को इंद्रलोक से ले जाने आया। इंद्र के सारथी मातलि वहां पहुंचे और अर्जुन को एक भव्य विमान में बैठाकर देवराज इंद्र की नगरी अमरावती ले गए। देवराज इंद्र ने अर्जुन का आदरपूर्वक स्वागत किया और उन्हें सुसज्जित आसन पर बैठाया। अमरावती में रहकर अर्जुन ने देवताओं से प्राप्त दिव्य और अलौकिक अस्त्र-शस्त्रों के प्रयोग की विधि सीखी और उन अस्त्र-शस्त्रों के प्रयोग का अभ्यास करके वे उनमें पारंगत हो गए। देवराज इंद्र की सलाह पर अर्जुन ने चित्रसेन नामक गंधर्व से संगीत और नृत्य की कला सीखनी शुरू कर दी।
एक दिन अर्जुन चित्रसेन के साथ संगीत और नृत्य का अभ्यास कर रहे थे। तभी इंद्रलोक से एक अत्यंत सुंदर अप्सरा वहां आई और अर्जुन को देखकर उस पर मोहित हो गई। कुछ समय एकांत में रहने के बाद उर्वशी ने अर्जुन से कहा, हे अर्जुन, तुम्हें देखकर मेरी कामवासना जागृत हो गई है, अब तुम किसी तरह मेरी कामवासना को शांत करो। लेकिन अर्जुन ने उन्हें अपनी मां की तरह अभिवादन किया और उनके प्रेम प्रस्ताव को आदरपूर्वक अस्वीकार कर दिया।
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अर्जुन की बातों से उर्वशी बहुत क्रोधित और दुखी हुईं और उन्होंने अर्जुन से कहा, तुमने नपुंसकों की तरह बात की है, मैं श्राप दे रही हूं कि तुम पूरे एक साल नपुंसक ही रहोगे। जिसके बाद अर्जुन अपने वनवास के वक्त बृहन्नला बने। जिसके बाद अर्जुन ने विराट नगर के राजा की पुत्री को अपने श्राप के दौर तक नृत्य सिखाया। जिसके बाद उत्तरा का विवाह अर्जुन पुत्र अभिमन्यु से संपन हुआ।
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