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India News (इंडिया न्यूज), Duryodhana in mahabharat: महाभारत युद्ध के बारे में तो सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुर्योधन युद्ध से पहले ही जीतना चाहता था। दुर्योधन अपनी मां कुंती समेत पांचों पांडवों को जलाकर भस्म करना चाहता था। दुर्योधन की कोशिश थी कि अगर सभी जलकर भस्म हो जाएं तो मैं आराम से हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठ सकता हूं। हालांकि दुर्योधन के मित्र कर्ण ने इसका विरोध किया। दुर्योधन के मामा शकुनि ने पांडवों को जलाकर मार डालने की गुप्त योजना बनाई। गुप्त योजना के तहत शकुनि ने ऐसी चाल चली कि किसी को कुछ पता ही नहीं चला। हालांकि हस्तिनापुर के महारथी विदुर शकुनि की इस चाल को भांप चुके थे।
शकुनि ने वारणावत में एक लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। इस लाक्षागृह में आने-जाने का एक ही रास्ता था। शकुनि चाहता था कि पांचों पांडव अपनी छुट्टियां इसी भवन में अपनी मां कुंती के साथ बिताएं। छुट्टियों के दौरान वे भूल जाएं कि उन्हें किसी तरह का खतरा है। जैसे ही वे आराम से जीवन जीने लगें, उस लाक्षागृह के दरवाजे में आग लगा दी जाए ताकि वे बाहर न आ सकें और वहीं जलकर राख हो जाएं।
लेकिन, शकुनि और दुर्योधन की इस कुटिल चाल के बारे में मुख्यमंत्री विदुर को पहले से ही पता था। जासूसों ने सारी जानकारी विदुर को दे दी थी। जिसके बाद विदुर ने अपनी तेज बुद्धि से पलक झपकते ही शकुनि की चाल को ध्वस्त कर दिया।
लाक्षागृह से पांडवों को बचाने में दो लोगों का बड़ा योगदान था। पहला नाम विदुर है जबकि दूसरा कुशल था। कुशल ने जमीन में सुरंग खोदकर सभी को बाहर निकाला। वहीं राज्य के कई जासूस मुख्यमंत्री तक गुप्त सूचना पहुंचाने में लगे हुए थे। जिससे पांचों पांडवों और उनकी माता कुंती की जान बच गई। हालांकि, दुर्योधन और शकुनि को लंबे समय तक यह पता नहीं चला कि पांचों पांडव और माता कुंती जीवित हैं।
मुख्यमंत्री विदुर के जासूसों ने पता लगा लिया था कि दुर्योधन की लाक्षागृह को लेकर क्या साजिश थी। इसके अलावा जासूसों ने यह भी बताया था कि इस भवन के निर्माण में किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल हुआ था। जासूसों द्वारा भेजी गई गुप्त सूचना को जानकर विदुर ने अपनी कार्ययोजना तैयार कर ली थी और समय रहते सभी की जान बच गई थी।
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