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India News (इंडिया न्यूज), Budhni Manjhiyan: झारखंड के पंचेत में रहने वाली 80 वर्षीय बुधनी मंझियाइन का शुक्रवार रात निधन हो गया। बुधनी मंझियाइन की मौत के बाद, स्थानीय लोगों ने पंडित नेहरू की मूर्ति के पास उनके सम्मान में एक स्मारक बनाने की मांग की है। उनकी बेटी रत्ना के लिए पेंशन और अन्य सुविधाओं की भी अपील की गई है। पंचेत पंचायत के मुखिया भैरव मंडल और अन्य स्थानीय लोगों ने डीवीसी प्रबंधन को रत्ना के लिए स्मारक और एक घर बनाने की सिफारिश की है। उन्होंने करीब 64 साल तक अपने समाज से बहिष्कार झेला था।
बुधनी मंझियाइन ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ पंचेत डैम और हाईडल पावर प्लांट का उद्घाटन किया था, जब वे महज 16 साल की थीं। नेहरू ने इस उद्घाटन के दौरान उन्हें सम्मानित करने के लिए माला पहनाई थी, जो उनके जीवनभर के लिए एक दुखद मोड़ बन गया। बता दें कि पंचेत बांध के उद्घाटन पर पंडित नेहरू ने बुधनी को जो माला पहनाई, उसे संथाल आदिवासी समुदाय ने शादी के रूप में माना। इसके बाद बुधनी को उनकी आदिवासी पत्नी माना जाने लगा। आदिवासी समाज में समुदाय के बाहर किसी से विवाह करने पर बहिष्कार की सजा दी जाती है। इसी वजह से बुधनी मंझियाइन को अपने समुदाय से बहिष्कृत कर दिया गया और उनके गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई।
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बुधनी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। 1952 में बांध निर्माण के दौरान उनकी पुश्तैनी ज़मीन डूब गई और उनके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था। फिर भी, उन्होंने मजदूरी करके अपना जीवन यापन किया। 5 दिसंबर 1959 को नेहरू के माला पहनाने के बाद, उन्हें और कई अन्य श्रमिकों को नौकरी से हटा दिया गया। इसके बाद, वे पुरुलिया में दिहाड़ी मजदूरी करने लगीं और बाद में सुधीर दत्ता से विवाह कर लिया। 1985 में, राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर बुधनी को डीवीसी में नौकरी मिली और 2005 में सेवानिवृत्त हुईं। फिलहाल स्मारक और अन्य मांगों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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