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India News (इंडिया न्यूज),Reetesh Mishra, Patna News: शराबबंदी कानून के तहत पकड़े गए स्कॉर्पियो कार की गलत तरीके से नीलामी कर अपने रिश्तेदार को वाहन सस्ते दाम में दिलाना कुछ अधिकारियों को भारी पड़ चुका है। बता दें कि दरअसल पटना हाई कोर्ट ने दोषी अधिकारियों पर 11 लाख का जुर्माना लगाया है और यह भी साफ किया है कि दोषी अधिकारियों के ज़ेब से ही इस राशि की वसूली की जाए और इस राशि को याचिका करता को दी जाए।
दरअसल पूरा मामला 2022 का है जब पटना जिले के बेटा थाना अंतर्गत सरफुद्दीन गांव के सद्दाम हुसैन की स्कॉर्पियो कार उनके ससुराल से चोरी हो गई। इस बाबत 9 जून 2022 को बिहटा थाना में सद्दाम हुसैन ने बाकायदा चोरी की FIR भी कराई। स्कॉर्पियो कार चोरी होने के ठीक 19 दिन बाद यानी 28 जून 2022 को गोपालगंज के भोरे थाना ने चोरी गए स्कॉर्पियो को शराब बंदी कानून के तहत जप्त कर लिया।
आपको बता दें कि पटना जिले के बिहटा थाना इलाके से चोरी हुए इस स्कॉर्पियो के लेकर बेटा थाना ने भी सुस्ती दिखाई और इस स्कॉर्पियो की बरामदगी को लेकर उसने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। वही दूसरी तरफ जी भरे थाना ने इस स्कॉर्पियो कार को शराबबंदी कानून के तहत जप्त किया उसने भी यह पता लगाने का प्रयास नहीं किया की यह स्कॉर्पियो शराब तस्करों की की है या फिर चोरी के वहां से शराब के अवैध धंधा हो रहा था। क्योंकि स्कॉर्पियो कार नई थी लिहाजा भोरे थाना के कुछ अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों को इस गाड़ी को देखकर लालच बी आ गया।
क्योंकि यह स्कॉर्पियो कार काफी नई थी लिहाजा अधिकारियों और उनके कुछ रिश्तेदारों में इस गाड़ी को लेकर लालच समा गया और उन्होंने इस गाड़ी को अपना बनाने के लिए कानून का ही सहारा लिया और गोपालगंज जिला ताप्ती प्राधिकरण और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत और साजिश से इस गाड़ी को 310000 रुपए में भूरे थाना के ही थाना प्रभारी के भांजे को नीलाम कर दिया गया। साजिश करने वाले अधिकारियों को लगा कि शराबबंदी कानून के तहत इस वाहन को सख्त किया गया है लिहाजा इस वाहन को छुड़ाने के लिए किसी तरह की पहल या सवाल नहीं होगे और इसी बात से आस्वस्त होकर अधिकारियों और पुलिस ने यह तक जानने तक की कोशिश नहीं की क्या ये स्कॉर्पियो कार चोरी की है। इसका मालिक कौन है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चोरी हुए स्कार्पियो के मालिक सद्दाम हुसैन के वकील कुमार हर्षवर्धन ने इस बाबत पटना हाईकोर्ट में 1 रिट याचिका दायर की जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने ना मात्र 11 लाख का जुर्माना लगाया बल्कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई 6 महीने में पूरा करने का भी कड़ा निर्देश जारी कर दिया है।
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