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India News (इंडिया न्यूज़), Muslim’s No Entry In North Korea: उत्तर कोरिया, दुनिया का सबसे अधिक तानाशाही शासन वाला देश, न केवल अपनी सैन्य ताकत के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी असाधारण संप्रभुता और दुनिया से कटे हुए राज्य के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां की सरकार और तानाशाह किम जोंग उन के कठोर नियंत्रण के तहत, धर्म के पालन पर भी कई सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं।
जहां दुनिया के अधिकांश देशों में लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने में स्वतंत्र हैं, वहीं उत्तर कोरिया में धर्म की स्वतंत्रता सीमित और नियंत्रित है। आधिकारिक तौर पर उत्तर कोरिया को नास्तिक देश माना जाता है, जिसका मतलब है कि यहां के नागरिकों को अपने धर्म को मानने की आज़ादी तो है, लेकिन इसे समाज, देश और शासन के खिलाफ किसी तरह की चुनौती के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
इस्लाम, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म होने के बावजूद उत्तर कोरिया में एक निषिद्ध धर्म के रूप में मौजूद है। यहां के कानून और समाज में इस्लाम को अपनाना और इसकी प्रैक्टिस करना मुश्किल है। उत्तर कोरिया में इस्लाम को मानने वालों की संख्या अत्यंत कम है, और यह संख्या केवल 3,000 मुस्लिमों तक सीमित है। इन मुस्लिमों को अपनी धार्मिक गतिविधियों के लिए कोई मस्जिद या उपासना स्थल उपलब्ध नहीं है। प्योंगयांग में एकमात्र मस्जिद ईरानी दूतावास के भीतर स्थित है, जो केवल दूतावास के कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए है।
उत्तर कोरिया का शासन कम्युनिज़्म पर आधारित है, और कम्युनिज़्म में धर्म का कोई स्थान नहीं होता। यहां की सरकार का दावा है कि वह सामाजिक समरसता और राज्य के एकजुटता को बनाए रखने के लिए अपने नागरिकों से किसी भी बाहरी प्रभाव को नकारती है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई धर्म सामाजिक तानेबाने या राज्य के हितों के खिलाफ होता है, तो उसे देश में मान्यता नहीं दी जाती। यही वजह है कि इस्लाम और अन्य धर्मों की प्रैक्टिस पर कड़ी निगरानी रखी जाती है और उन्हें बढ़ावा नहीं दिया जाता।
अगर कोई नागरिक तानाशाही शासन के खिलाफ जाता है या धर्म के नाम पर कोई गतिविधि करता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उत्तर कोरिया में सरकार की आलोचना करना और इसके नियमों का उल्लंघन करना सजा ए मौत तक के कड़े परिणामों का कारण बन सकता है।
इसी बीच, उत्तर कोरिया और ईरान के बीच संबंध मजबूत हैं। इन दोनों देशों के रिश्ते, खासकर सैन्य और राजनीतिक दृष्टिकोण से, घनिष्ठ रहे हैं। यही कारण है कि प्योंगयांग में ईरानी दूतावास के अंदर एक मस्जिद मौजूद है, लेकिन यह मस्जिद केवल ईरानी नागरिकों के लिए है और आम उत्तर कोरियाई नागरिकों के लिए खुली नहीं है।
उत्तर कोरिया के नागरिक मुख्य रूप से सामनिज़्म और कोंडोइज़्म (जो पारंपरिक उत्तर कोरियाई धर्म हैं) को मानते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग बौद्ध और ईसाई धर्मों के अनुयायी भी हैं, लेकिन इन धर्मों का पालन भी कड़ी निगरानी में किया जाता है। यहां की सरकार इन धर्मों का प्रचार करने या उनसे संबंधित गतिविधियों की अनुमति नहीं देती।
उत्तर कोरिया में धर्म की स्वतंत्रता अत्यंत सीमित है, और खासकर इस्लाम जैसे बाहरी धर्मों का पालन यहां लगभग असंभव बना दिया गया है। तानाशाही शासन, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किसी भी धर्म, खासकर इस्लाम, की प्रैक्टिस को कड़ा प्रतिबंधित करता है। इस कारण उत्तर कोरिया में मुस्लिम आबादी बहुत कम है, और धार्मिक गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है।
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