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India News (इंडिया न्यूज),Syria War:सीरिया में विद्रोही समूहों ने अचानक हमला करके असद सरकार को उखाड़ फेंका है।सीरिया में बशर अल-असद अब इतिहास का पन्ना बन चुका है। खबर है कि बशर अल-असद सीरिया छोड़कर भाग गए है। अमेरिका समर्थित काबुल सरकार को भी गिरने में 14 दिन लगे थे, लेकिन दमिश्क 10वें दिन ही ढह गया। सीरिया के विद्रोहियों ने ऐलान कर दिया है कि उन्होंने सीरिया को आजाद करा लिया है। लेकिन ये सिर्फ 10 दिन की कहानी नहीं है, इस आजादी के पीछे 13 साल का संघर्ष है, एक ऐसा संघर्ष जिसमें करीब 5 लाख लोगों की जान चली गई, करीब 4 लाख लोग विस्थापित हुए।
बशर अल-असद ने अपने पिता हाफिज अल-असद के बाद साल 2000 में सीरिया की कमान संभाली थी। हाफिज अल-असद ने भी 1950-60 के गृहयुद्ध के बाद तख्तापलट करके सत्ता हासिल की और असद परिवार ने 1971 से 2024 तक सीरिया पर राज किया। असद के पिता उस तानाशाही के खिलाफ सत्ता में आए थे जिसके खिलाफ उन्होंने सीरिया में समाजवादी शासन लाने का वादा किया था, लेकिन वो खुद तानाशाह बन गए।
1971 से सीरिया पर बाथ पार्टी का शासन था, जो सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के पिता द्वारा गठित पार्टी है। होम्स पर कब्ज़ा करने और दमिश्क में प्रवेश करने के बाद विद्रोहियों ने एक बयान जारी कर कहा, “50 साल के उत्पीड़न और 13 साल के अपराध, अत्याचार और बाथिस्ट शासन के विस्थापन और सभी तरह की कब्ज़ाकारी ताकतों का सामना करने वाली एक लंबी लड़ाई के बाद, आज, 8 दिसंबर, 2024 को हम उस युग के अंत और सीरिया के एक नए युग की शुरुआत की घोषणा करते हैं।
बशर अल-असद 2000 से सीरिया के राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति होने के साथ-साथ असद सीरियाई सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ और अरब सोशलिस्ट बाथ पार्टी की सेंट्रल कमांड के महासचिव थे। उनके शासन का अपने खिलाफ उठने वाली आवाज़ों को दबाने का एक काला इतिहास रहा है। 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान सीरिया में भी उनके खिलाफ विरोध की चिंगारी भड़की थी, लेकिन उन्होंने इसे बहुत क्रूरता से दबाने की कोशिश की, जिसके बाद ये विरोध सशस्त्र संघर्ष में बदल गए। बशर अल-असद ने ईरान और सीरिया की मदद से दमिश्क को अपने नियंत्रण में रखा। सीरिया में विद्रोह आंदोलन को कुचल दिया।
इस लड़ाई का नेतृत्व अलकायदा और आईएसआईएस से निकला एक समूह हयात तहरीर अल-शाम कर रहा है, जो दर्जनों विद्रोही समूहों के साथ मिलकर लड़ रहा है। जिन्हें तुर्की और अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। दमिश्क में इन लड़ाकों के आने से सीरिया में असद इतिहास बन गया है।
असद के शासन के खत्म होने के बाद सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सीरिया की नई सरकार कैसे बनेगी, यह सरकार कैसे बंटेगी। क्योंकि असद के खिलाफ सिर्फ एक समूह नहीं लड़ रहा है, बल्कि दर्जनों समूह मैदान में असद की सेना से लड़ रहे हैं और ये सभी अपना हिस्सा चाहते हैं। इन समूहों की विचारधाराएं भी अलग-अलग हैं। कुछ लोकतंत्र के समर्थक हैं, कुछ इस्लामिक राष्ट्र चाहते हैं और कुर्दिश लड़ाके भी हैं जो अपना अलग देश चाहते हैं। यह लड़ाई तुर्की, अमेरिका और इजरायल की बड़ी योजना की एक धुंधली तस्वीर पेश कर रही है, जिसमें वे सीरिया को तोड़ सकते हैं और मध्य पूर्व पर ईरान के नियंत्रण को कम कर सकते हैं।ॉ
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